गीता जयंती : कुरुक्षेत्र की धूल से उठती आत्मा की पुकार

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 1, 2025 Culture 0

आज गीता जयंती है—वह दिन जब कुरुक्षेत्र की रणभूमि में जन्मा कृष्ण का अमर संदेश मानवता को मार्ग दिखाता है। भय, दुविधा और मोह से जूझते अर्जुन को मिला यह उपदेश आज भी हर मनुष्य के भीतर के संघर्ष को दिशा देता है। गीता केवल ग्रंथ नहीं, जीवन का शाश्वत प्रकाश है।”

संविधान दिवस: शब्दों से अधिक, एक जीवित प्रतिज्ञा

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 26, 2025 Important days 0

26 नवंबर सिर्फ कैलेंडर की तारीख़ नहीं, भारत की लोकतांत्रिक आत्मा की धड़कन है। संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि यह दस्तावेज़ क़ानूनों की किताब भर नहीं, बल्कि हमारे अधिकारों, कर्तव्यों, गरिमा और एकता की जीवित प्रतिज्ञा है, जिसे हमें हर दिन जीना है।

स्वाभिमान का स्वर: 150 वर्ष वंदे मातरम्

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 11, 2025 Important days 0

“वंदे मातरम् केवल दो शब्द नहीं, एक दीर्घ श्वास है जो इस उपमहाद्वीप की नसों में आज भी बहती है। डेढ़ सदी बाद भी यह गीत हमें याद दिलाता है कि भारत केवल भौगोलिक रेखाओं का जोड़ नहीं, एक जीवित अनुभूति है। यह गीत राजनीति से ऊपर उठकर नागरिक-धर्म का गान है — एक ऐसा धर्म जो मनुष्यता को श्रेष्ठ मानता है, और मातृभूमि को ‘भूमि’ से ‘मां’ बना देता है।”

गोपाष्टमी : गो, गृह और गंगा की तरह पवित्र — हमारी सभ्यता का अदृश्य आधार

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 31, 2025 Culture 0

गोपाष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की जड़ों का उत्सव है — वह दिन जब हम यह स्मरण करते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारी खेती, और हमारा जीवन — सब गो के उपकार पर टिका है। गोबर से लीपे आँगन, दूध से पोषित पीढ़ियाँ और बैल से चलती हल की रेखाएँ — यही तो भारत का असली तंत्र है।

भाईदूज — तिलक की रेखा में स्नेह, उत्तरदायित्व और रोशनी

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 23, 2025 Culture 0

“भाईदूज सिर्फ़ माथे का तिलक नहीं, रिश्ते की आत्मा में बसे भरोसे का पुनर्स्मरण है।” “जब बहन तिलक लगाती है, वह केवल दीर्घायु नहीं मांगती—वह भाई की सजगता और संवेदना की प्रार्थना करती है।” “तिलक की लाल रेखा विश्वास की नीति बन जाती है—जहाँ असहमति भी आदर के साथ संभव होती है।” “भाईदूज का असली दीप वह है जो रिश्ते के अंधकार में भी एक-दूसरे को देखने की रोशनी देता है।”

गोवर्धन पूजा — धरती, धारण और धारणा का उत्सव

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 21, 2025 Important days 0

गोवर्धन लीला केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि मानव चेतना की यात्रा है—जहाँ कृष्ण भक्त के रक्षक, गुरु और प्रेमस्वरूप हैं। इंद्र का गर्व, ब्रजवासियों की श्रद्धा और गिरिराज का सहारा—ये सब मिलकर बताते हैं कि ईश्वर हमें संकट से नहीं, अहंकार से मुक्त करते हैं। यह कथा सामूहिक शरणागति, भक्ति की सरलता और धर्म के जीवंत दर्शन का उत्सव है—जहाँ पर्वत केवल पत्थर नहीं, बल्कि करुणा का प्रतीक बन जाता है।

दीपावली — अंधकार के गर्भ से ज्योति का जन्म

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 20, 2025 Important days 1

“दीपावली अमावस्या की निस्तब्धता से जन्मी वह ज्योति है जो केवल घर नहीं, हृदय की गुफाओं को आलोकित करती है। यह बाह्य उत्सव से अधिक आत्मदीपकत्व का अनुष्ठान है — अंधकार को मिटाने नहीं, उसमें दीप जलाने का साहस।”

नरक चतुर्दशी — रूप, ज्योति और आत्म-शुद्धि की यात्रा

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 18, 2025 Important days 0

“नरक चतुर्दशी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भीतर के नरक से मुक्ति का पर्व है। यह मन की अंधकारमय प्रवृत्तियों से प्रकाशमय चेतना की ओर यात्रा का क्षण है — जहाँ स्नान शरीर का नहीं, आत्मा का होता है; और दीप केवल मिट्टी का नहीं, मन का।”

धनतेरस नहीं, आरोग्य दीपोत्सव — धन्वंतरि के अमृत का असली अर्थ

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 18, 2025 Important days 0

धनतेरस को केवल खरीददारी का पर्व नहीं, बल्कि आरोग्य दीपोत्सव के रूप में मनाने का संदेश देता यह आलेख बताता है कि धन्वंतरि देव स्वास्थ्य, संयम और आत्मज्ञान के प्रतीक हैं। सोने से अधिक मूल्यवान है तन–मन का स्वास्थ्य, और असली दीप वह है जो भीतर जलता है — स्वच्छता, संयम और संतुलन के रूप में। यही है धनतेरस का शाश्वत अर्थ।

विश्व आर्थराइटिस दिवस: जोड़ो से जुड़ी वो कहानी, जिसे समझना ज़रूरी है

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 12, 2025 Health And Hospitals 0

On World Arthritis Day, let’s pause to listen to what our joints are trying to tell us. Pain, stiffness, and swelling are not just signs of aging — they’re reminders to care, consult, and keep moving. Awareness today can mean a healthier tomorrow.