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Category: Important days

“अमूर्त रेखाचित्र में एक उजली धरती के रूप में भारत, जिसके केंद्र से उठती है लाल और केसरिया रंगों की श्वास-जैसी लहर — जो ‘वंदे मातरम्’ के स्वर का प्रतीक है।”

स्वाभिमान का स्वर: 150 वर्ष वंदे मातरम्

“वंदे मातरम् केवल दो शब्द नहीं, एक दीर्घ श्वास है जो इस उपमहाद्वीप की नसों में आज भी बहती है। डेढ़ सदी बाद भी यह…

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एक ग्रामीण भारतीय आँगन में गोपाष्टमी के दिन का दृश्य — हरे ताजे गोबर से लीपा गया चौक, बीच में गोमाता पर फूल और दीप जल रहे हैं। पास में किसान अपने बैलों को सजा रहा है, बच्चे गाय की सेवा में लगे हैं और सूरज की स्वर्णिम किरणें पूरे वातावरण को पवित्र बना रही हैं।

गोपाष्टमी : गो, गृह और गंगा की तरह पवित्र — हमारी सभ्यता का अदृश्य आधार

गोपाष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की जड़ों का उत्सव है — वह दिन जब हम यह स्मरण करते हैं कि हमारी…

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“डिजिटल युग के भाईदूज का प्रतीकात्मक चित्र — बहिन और भाई ऑनलाइन रूप में, वर्चुअल तिलक करते हुए, बीच में रोशनी की वाई-फाई डोर।”

भाईदूज — तिलक की रेखा में स्नेह, उत्तरदायित्व और रोशनी

“भाईदूज सिर्फ़ माथे का तिलक नहीं, रिश्ते की आत्मा में बसे भरोसे का पुनर्स्मरण है।” “जब बहन तिलक लगाती है, वह केवल दीर्घायु नहीं मांगती—वह…

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"कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाए जाने की लीला का दार्शनिक और सांस्कृतिक विश्लेषण — इंद्र के अहंकार, भक्तिभाव और सामूहिक शरणागति का प्रतीकात्मक चित्रण"

गोवर्धन पूजा — धरती, धारण और धारणा का उत्सव

गोवर्धन लीला केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि मानव चेतना की यात्रा है—जहाँ कृष्ण भक्त के रक्षक, गुरु और प्रेमस्वरूप हैं। इंद्र का गर्व, ब्रजवासियों…

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“गहन अमावस्या के आकाश में भारत का मानचित्र दीपों से आलोकित है — दीयों की ज्योति से लक्ष्मी, महावीर, शिव और राम के प्रतीक उभर रहे हैं, एक ध्यानमग्न मानव आकृति दीप के भीतर बैठी आत्मज्योति का प्रतीक है — अंधकार से प्रकाश की ओर मानव चेतना की यात्रा का सांकेतिक चित्र।”

दीपावली — अंधकार के गर्भ से ज्योति का जन्म

“दीपावली अमावस्या की निस्तब्धता से जन्मी वह ज्योति है जो केवल घर नहीं, हृदय की गुफाओं को आलोकित करती है। यह बाह्य उत्सव से अधिक…

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“अमावस्या के अंधकार में रखा एक छोटा दीप, जिसकी लौ से मानव आकृति का आलोक उभर रहा है — अंधकार से प्रकाश की ओर आत्म-यात्रा का प्रतीकात्मक चित्र।”

नरक चतुर्दशी — रूप, ज्योति और आत्म-शुद्धि की यात्रा

“नरक चतुर्दशी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भीतर के नरक से मुक्ति का पर्व है। यह मन की अंधकारमय प्रवृत्तियों से प्रकाशमय चेतना की ओर…

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“धनतेरस नहीं, आरोग्य दीपोत्सव — धन्वंतरि के अमृत का असली अर्थ”

धनतेरस नहीं, आरोग्य दीपोत्सव — धन्वंतरि के अमृत का असली अर्थ

धनतेरस को केवल खरीददारी का पर्व नहीं, बल्कि आरोग्य दीपोत्सव के रूप में मनाने का संदेश देता यह आलेख बताता है कि धन्वंतरि देव स्वास्थ्य,…

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एक रंगीन सांस्कृतिक चित्र जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों — बिसरख, मंडोर, कांगड़ा, कांकेर — के लोग रावण की पूजा करते दिख रहे हैं, पीछे दशहरा के दृश्य में एक स्थान पर रावण दहन हो रहा है और दूसरे स्थान पर रावण की मूर्ति पर फूल चढ़ाए जा रहे हैं। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक दृश्य है।

वे स्थान जहां नहीं किया जाता रावण दहन

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘भोपाल’ का लेख “वे स्थान जहां नहीं किया जाता रावण दहन” भारतीय संस्कृति की विविधता और सहिष्णुता का जीवंत प्रमाण है। इसमें…

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अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर बुजुर्ग दंपति – अनुभव और मार्गदर्शन की मिसाल, जो सम्मान, सहयोग और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक हैं।”

वरिष्ठ नागरिक दिवस-बुजुर्गों के प्रति सम्मान, सहयोग और सामाजिक जिम्मेदारी का दिवस

पहली अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस हमारे समाज के उन वरिष्ठजनों को समर्पित है जिनके अनुभव और मार्गदर्शन के बिना वर्तमान और…

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