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"दौलत" Doulat Hindi Poem by Mahadev Premi - Baat Apne Desh Ki
आज की मेरी रचना दौलत रुपी मिथ्या भुलाबे में जो मानव जगत अपनी बहुमूल्य निधि अपना परिवार और मानव धर्म को भूल रहा है. उस…