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Kalyug (कलयुग) हिंदी कविता by Mahadev Premi - Baat Apne Desh Ki
कलयुग की उल्टी लीला से सभी सामना कर रहे है. कलयुग के रूप में जो उल्टी गंगा बह रही है उसका सटीक वर्णन करती हुई…