वाह रे ज़माना — डिज़ाइनर बेबी का

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 16, 2025 व्यंग रचनाएं 0

अब बच्चा भगवान की देन नहीं, माता-पिता की पसंद बनता जा रहा है। आँखों का रंग, करियर, आईक्यू—सब कुछ पैकेज में मिलेगा। पर सवाल यह है कि डिज़ाइन में मासूमियत का कॉलम क्यों छूट गया?

धुरंधर : शोर, शो, शॉक और थोडा सा सिनेमा

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 16, 2025 Cinema Review 0

धुरंधर उस दौर की फिल्म है जहाँ सिनेमा से ज़्यादा उसकी चर्चा तेज़ है। हाइप, राष्ट्रवाद, हिंसा और स्टारडम के बीच फँसी यह फिल्म दर्शक से सवाल भी करती है और उसे थकाती भी है। एक छोटे शहर के दर्शक की नज़र से पढ़िए—धुरंधर का ईमानदार, हल्का व्यंग्यात्मक और संतुलित रिव्यू।

वंदे मातरम के 150 वर्ष: एक गीत नहीं, राष्ट्र-धड़कन का उत्सव

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 15, 2025 Culture 0

वंदे मातरम कोई साधारण गीत नहीं है—यह वह ध्वनि है जो कभी कोड़ों की मार के बीच भी गूंजती थी और आज बहसों के शोर में दबाई जा रही है। इसके 150 वर्ष हमें यह याद दिलाते हैं कि राष्ट्र केवल सीमाओं से नहीं, स्मृतियों से बनता है।

लोकतंत्र का नया स्तंभ : चालीस प्रतिशत

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 15, 2025 व्यंग रचनाएं 0

इस देश में विकास कार्य अब सड़क, स्कूल और दरी से नहीं, सीधे प्रतिशत से तय होते हैं। विधायक विकास नहीं देखते, वे सिर्फ़ यह पूछते हैं—“हमें कितना प्रतिशत मिलेगा?” यह व्यंग्य लेख उसी आत्मविश्वासी भ्रष्टाचार का दस्तावेज़ है, जहाँ लोकतंत्र चार स्तंभों पर नहीं, चालीस प्रतिशत पर टिका है।

सितारे ज़मीन पर: जब ‘नॉर्मल’ की परिभाषा टूटती है और इंसान दिखाई देता है

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 14, 2025 Cinema Review 0

OTT पर देर से देखी गई आमिर ख़ान की सितारे ज़मीन पर एक होलसम, हार्ट-वार्मिंग सिनेमा अनुभव है, जो डाउन सिंड्रोम और लर्निंग डिसएबिलिटी जैसे संवेदनशील विषयों को बिना भावनात्मक शोर के, सहज मानवीय दृष्टि से प्रस्तुत करती है। यह फ़िल्म तारे ज़मीन पर की याद दिलाती ज़रूर है, लेकिन अपनी ईमानदार संवेदना के कारण अलग पहचान भी बनाती है।

ये आईना भी

Vidya Dubey Dec 13, 2025 हिंदी कविता 1

“टूटा आईना कभी दाग छुपा लेता है, कभी छुपे घाव दिखा देता है—एक ही प्रतिबिंब में बिखराव और आत्मबोध का सुंदर द्वंद्व।”

मोगली आज़म (लघु नाटिका)

Ram Kumar Joshi Dec 13, 2025 हिंदी लेख 2

“मुगल-ए-आज़म के आधुनिकीकरण पर आधारित यह व्यंग्य-नाटिका सोलहवीं सदी के ठाठ-बाट को इक्कीसवीं सदी की भोंडी आधुनिकता से टकराते हुए दिखाती है—जहाँ बादशाह का दरबार दारू, डांस, ड्रामा और डिजिटल विद्रोह में बदल जाता है।”

The Family Man Season 1 — एक पति, पिता और गुप्त एजेंट की दिल दहला देने वाली दास्तान

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 12, 2025 Cinema Review 0

“दि फैमिली मैन का पहला सीज़न एक साधारण परिवार वाले आदमी और एक टॉप–लेवल गुप्त एजेंट की दोहरी ज़िंदगी का ऐसा चित्र खींचता है, जिससे थ्रिल और भावनाएँ बराबर टकराती हैं। नर्व गैस अटैक की साज़िश, पारिवारिक खिंचाव, सिस्टम की सच्चाइयाँ और श्रीकांत के भीतर का संघर्ष—सब मिलकर एक गहरी, रियलिस्टिक और तीखी कहानी बनाते हैं।”

Criminal Justice Season 2 — बंद दरवाजों के सच

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 12, 2025 Cinema Review 0

Criminal Justice Season 2 बंद दरवाज़ों के भीतर दबी उन चीखों का सच खोलता है जिन्हें दुनिया अक्सर सम्मान के आवरण में छिपा देती है। यह एक ऐसे रिश्ते की कहानी है जहाँ प्रेम नहीं, नियंत्रण साँस लेता है।

खीच : सर्दियों की धूप, देसी भूख और खानदानी स्वाद का उत्सव

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 11, 2025 Culture 0

सर्दियों की पहली ठंड आते ही खीच की महक घर-आँगन में फैल जाती है। राजस्थान का यह देसी व्यंजन सिर्फ भोजन नहीं, एक सामुदायिक परंपरा, एक सर्दियों का उत्सव और तीन पीढ़ियों से चली आ रही रसोई की विरासत है। तिल के तेल, सोडा बाईकार्ब और हाथ से खाने की रस्म इसमें एक ऐसा स्वाद जोड़ते हैं जिसे केवल खाया नहीं, महसूस किया जाता है।