विवेकानंद और आधुनिक प्रायोगिक वेदान्त की प्रासंगिकता डॉ मुकेश 'असीमित' October 21, 2025 हिंदी लेख 0 Comments स्वामी विवेकानंद ने वेदान्त को ग्रंथों से निकालकर जीवन के प्रत्येक कर्म में उतारा — उन्होंने कहा, “यदि वेदान्त सत्य है, तो उसे प्रयोग में… Spread the love
प्रकाश है सनातन-कविता रचना Prahalad Shrimali October 20, 2025 Hindi poems 0 Comments “बहती प्रकाश की ओर अगर है ज़िंदगी, तो हर अंधकार भी एक पड़ाव मात्र है। जो दीप भीतर जलता है — वही अमर है, वही… Spread the love
गालों की लाली- हो गई गाली Ram Kumar Joshi October 20, 2025 संस्मरण 0 Comments “कभी सूर्योदय से पहले नहीं उठने वाले अब मुंह-अंधेरे ‘हेलो हाय’ करते जॉगिंग पर हैं। ट्रैक सूट, डियोडरेंट और महिला ट्रेनर ने जैसे रिटायरमेंट में… Spread the love
दीपावली — अंधकार के गर्भ से ज्योति का जन्म डॉ मुकेश 'असीमित' October 20, 2025 Important days 1 Comment “दीपावली अमावस्या की निस्तब्धता से जन्मी वह ज्योति है जो केवल घर नहीं, हृदय की गुफाओं को आलोकित करती है। यह बाह्य उत्सव से अधिक… Spread the love
नरक चतुर्दशी — रूप, ज्योति और आत्म-शुद्धि की यात्रा डॉ मुकेश 'असीमित' October 18, 2025 Important days 0 Comments “नरक चतुर्दशी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भीतर के नरक से मुक्ति का पर्व है। यह मन की अंधकारमय प्रवृत्तियों से प्रकाशमय चेतना की ओर… Spread the love
जीनीयस जनरेशन की ‘लोल’ भाषा Vivek Ranjan Shreevastav October 18, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “जेन ज़ी की ‘लोल भाषा’ ने व्याकरण के सिंहासन को हिला दिया है। अब भाषा नहीं, भावना प्राथमिक है। अक्षरों का वजन घट रहा है,… Spread the love
जा तू धन को तरसे — एक व्यंग्यात्मक धनतेरस कथा डॉ मुकेश 'असीमित' October 18, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments धनतेरस के शुभ अवसर पर जब जेबें खाली हैं और बाज़ार भरा पड़ा है, तब लेखक हंसी और व्यंग्य से पूछता है — “धनतेरस किसके… Spread the love
धनतेरस नहीं, आरोग्य दीपोत्सव — धन्वंतरि के अमृत का असली अर्थ डॉ मुकेश 'असीमित' October 18, 2025 Important days 0 Comments धनतेरस को केवल खरीददारी का पर्व नहीं, बल्कि आरोग्य दीपोत्सव के रूप में मनाने का संदेश देता यह आलेख बताता है कि धन्वंतरि देव स्वास्थ्य,… Spread the love
संघ-साहित्य की विरासत, विचार की निरंतरता और आधुनिक भारत में उसकी वैचारिक प्रासंगिकता डॉ मुकेश 'असीमित' October 17, 2025 शोध लेख 0 Comments संघ-साहित्य केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि आत्मसंयम और सेवा की जीवंत साधना है। यह परंपरा के मौन और आधुनिकता के संवाद के बीच बहने… Spread the love
संघ-साहित्य: शब्दों में अनुशासन, विचारों में संवाद डॉ मुकेश 'असीमित' October 17, 2025 शोध लेख 0 Comments संघ-साहित्य केवल प्रचार का उपकरण नहीं, बल्कि विचार की निरंतरता का प्रमाण है। यह शाखाओं से निकलकर पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संवादों में प्रवाहित होती… Spread the love