वास्तविक डेमोक्रेसी तभी जब वह सायास डेमोग्राफी बदले बिना हो Vivek Ranjan Shreevastav September 27, 2025 हिंदी लेख 0 Comments लोकतंत्र का आधार जनता का शासन है, परंतु जब जनसंख्या की संरचना बदलती है तो लोकतंत्र का संतुलन डगमगाने लगता है। भारत जैसे विविध देश… Spread the love
चलो बुलावा आया है-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “चलो बुलावा आया है… दिल्ली ने बुलाया है। नेता, लेखक, कलाकार—सब दिल्ली की ओर ताक रहे हैं। दिल्ली एक वॉशिंग मशीन है, जहां दाग तक… Spread the love
गली में आज चाँद निकला-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “गली में आज चाँद निकला… पर यह कोई आसमान वाला चाँद नहीं, बल्कि टिकट की दौड़ में फँसा हुआ नेता चांदमल है। चाँदनी बिखेरने का… Spread the love
हिंदी का ब्यूटी पार्लर डॉ मुकेश 'असीमित' September 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments हिंदी भाषा को सरकारी दफ़्तरों और आयोगों में किस तरह से बोझिल और जटिल बनाया गया है, जिससे वह अपनी सहजता और सुंदरता खो रही… Spread the love
कोल्हू का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 19, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments यह लोकतंत्र दरअसल एक कोल्हू है जिसमें बैल बनकर हम आमजन जोते जा रहे हैं। मालिक—नेता और अफसर—आराम से ऊँची कुर्सियों पर बैठकर तेल चूस… Spread the love
रोशनी ख़ुशबू की -गजल Kishan Tiwari September 5, 2025 गजल 0 Comments किशन तिवारी ‘भोपाल’ की यह ग़ज़ल जीवन की पीड़ा, संघर्ष और रिश्तों की विडंबना का गहन बयान है। इसमें मोहब्बत और विश्वास के टूटे बंधन,… Spread the love
माखन लीला-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 16, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments कृष्ण की माखन लीला आज लोकतंत्र में रूप बदल चुकी है। जहाँ कान्हा चोरी से माखन खाते थे, वहीं आज सत्ता और समाज में सब… Spread the love
साठा सो पाठा-व्यंग्य रचना Vivek Ranjan Shreevastav August 14, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments साठ के बाद ‘रिटायर’ नहीं, ‘री-फायर’ होना चाहिए—ये दुनिया के पुतिन, मोदी, ट्रंप, नेतन्याहू और खोमनेई साबित कर चुके हैं। अनुभव, जिद और आदतों का… Spread the love
आदमी और कुत्ते की आवारगी-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 13, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments ह व्यंग्य इंसान और कुत्ते की आवारगी के बीच की महीन रेखा को तोड़ता है। अदालत के आदेश से कुत्तों को शेल्टर में डालने का… Spread the love
हारे हुए प्रत्याशी की हाल-ए-सूरत-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments चुनाव हारने के बाद नेताजी के चेहरे की मुस्कान स्थायी उदासी में बदल गई। कार्यकर्ता सांत्वनाकार बन चुके हैं, बासी बर्फी पर मक्खियाँ भिनभिना रही… Spread the love