हँसी के बाद उतरती चुप्पी: व्यंग्य का असली तापमान डॉ मुकेश 'असीमित' December 2, 2025 आलोचना ,समीक्षा 0 Comments “व्यंग्य हँसाने की कला नहीं, हँसी के भीतर छुपी बेचैनी को जगाने की कला है। वह पल जब मुस्कान के बाद एक सेकंड की चुप्पी… Spread the love
व्यंग्य—कल, आज और कल : हिंदी व्यंग्य का व्यापक परिप्रेक्ष्य और बौद्धिक पुनर्स्थापन डॉ मुकेश 'असीमित' November 29, 2025 Book Review 0 Comments “विवेक रंजन श्रीवास्तव की ‘व्यंग्य—कल, आज और कल’ हिंदी व्यंग्य को एक गंभीर, बहुस्तरीय और विश्लेषणात्मक विधा के रूप में स्थापित करती है। यह पुस्तक… Spread the love