“बेसहारा सर्वहारा चिन्तक” कविता रचना-डॉ मुकेश असीमित डॉ मुकेश 'असीमित' June 24, 2025 Poems 0 Comments एक मुखौटा जो क्रांति का नाम लेता है, और एक जाम जो सिंगल मॉल्ट से छलकता है। डॉ. मुकेश ‘असीमित’ की यह तीखी व्यंग्यात्मक कविता… Spread the love