खुदा ही खुदा है-हास्य व्यंग्य रचना

गड्डापुर शहर में विकास की परिभाषा गड्ढों से तय होती है। यहाँ खुदाई केवल निर्माण कार्य नहीं, आस्था, राजनीति और प्रशासन की साझा विरासत है। गड्ढे भरने पर जनता चिंतित हो उठती है—जैसे विकास रूठ गया हो। नेता इन्हीं गड्ढों के सहारे वोट पाते हैं, और नगरवासी गड्ढों को अपना ‘खुदा’ मान लेते हैं। गड्ढे ही यहाँ पहचान हैं, परंपरा हैं—ट्रेडमार्क हैं।