“रिश्ते (गजल ) दो छायाओं के बीच अनकहे जुड़ाव ।” Babita Kumawat June 23, 2025 Poems 0 Comments गजल – रिश्ते रिश्तों में विसाल उतना है जरूरी, मेरे लिए हर सिम्त में रिश्ते है जरूरी पर कुछ लोग बना देते है मैदान-ए-मतकल, मेरी…… Spread the love
धरती मां की पुकार: पर्यावरण संरक्षण पर प्रेरणादायक बाल कविता Dr. Mulla Adam Ali June 23, 2025 Blogs 0 Comments धरती हमारे जीवन की आधारशिला है — नीला अम्बर, हरी ज़मीन, और प्रकृति के अनमोल रंगों से सजी यह दुनिया हमें जीवन, शांति और सुख…… Spread the love
जंगल की पुकार: हरियाली, जीवन और संरक्षण की कविता Dr. Mulla Adam Ali June 23, 2025 Blogs 0 Comments जंगल केवल पेड़ों और जानवरों का घर नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हरियाली, शांति, और जैव विविधता का प्रतीक हैं, जो…… Spread the love
वनों की फरियाद Dr. Mulla Adam Ali June 23, 2025 Blogs 0 Comments न कर छेड़खानी तू धरती से प्यारे, ये पेड़ हैं जीवन के सच्चे सहारे। नदियों की धारा, पवन की रवानी, सब कहते हैं — “मत…… Spread the love
श्रद्धा, सायकोसिस और स्टेथोस्कोप Dr Amit Goyal June 22, 2025 हिंदी कहानी 4 Comments मैंने अपने क्लीनिक में प्रवेश किया। कई मरीज़ विश्राम कक्ष में बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर संतोष था—शायद मेरे इलाज से उन्हें लाभ…… Spread the love
डॉक्टर साहब, आप तो भगवान हैं। डॉ मुकेश 'असीमित' June 22, 2025 Blogs 0 Comments तुम भगवान हो, तो गलती नहीं कर सकते — क्योंकि इंसान की तो गलती माफ़ होती है। अब जब भगवान बना दिया है, तो ये… Spread the love
मेडिकल का आँचलिक भाषा साहित्य – बिंब, अलंकारों, प्रतीकों से भरपूर डॉ मुकेश 'असीमित' June 8, 2025 Blogs 1 Comment “डॉक्टर साहब, आपकी पढ़ाई अपनी जगह… हम तो इसे ‘नस जाना’ ही मानेंगे!” ग्रामीण चिकित्सा संवादों में हर लक्षण का एक लोकनाम है — ‘चक… Spread the love
गालियों का बाज़ार डॉ मुकेश 'असीमित' May 22, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “गालियों का बाज़ार” नामक उस लोकतांत्रिक तमाशे का प्रतीक है जहाँ भाषाई स्वतंत्रता के नाम पर अपशब्दों की होड़ है। हर कोई वक्ता है, हर… Spread the love
पुरुष्कार का दर्शन शास्त्र डॉ मुकेश 'असीमित' May 13, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments पुरस्कारों की चमक साहित्यकारों को अक्सर पितृसत्ता की टोपी पहना देती है। ये ‘गुप्त रोग’ बनकर छिपाया भी जाता है और पाया भी जाता है,… Spread the love
मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी… डॉ मुकेश 'असीमित' May 11, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक… Spread the love