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“हाथ पैर यदि पास” हिंदी कविता

हाथ पैर यदि पास हिंदी कविता

“हाथ पैर यदि पास”
कुण्डली 8चरण

हाथ पैर यदि पास हों,मांग कभी ना भीख,
साहस पंखों में जगा,नभ में उड़ना सीख,

उड़ना नभ में सीख,कभी झोली न पसारो,
कर्म कोइ भी करो,ताहि सो होय गुजारो,

हाथ पैर यदि साथ,देय तो मांग न जइहैं,
मांगन मरण समान, तु जीते जी नहिं मरिहैं,

“प्रेमी”मांग न कभी,भी जब तक तन की आस,
काम काज कुछ करौं,हैं हाथ पैर यदि पास

रचियता महादेव प्रेमी

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