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चालीस के पार -तौबा रे तौबा

चालीस के पार -तौबा रे तौबा

चालीस पार करने के बाद
बहुत तकलीफ होती है..
कुछ अच्छा नही लगता..

तीस पर थे
तब कितना अच्छा लगता था..
कितना उत्साह था जिंदगी में..
कभी भी कहीं भी जा सकते थे..
अब बाहर निकलने का मन ही नहीं करता…

बीस पर थे तब तो बहार ही कुछ और थी..
कितना भी काम कर लो थकते नहीं थे..
पर अब तो किसी काम में मन नहीं लगता…

45 पार में तो पूछो ही मत मित्रों..
सोचकर ही डर जाते हैं.. ?
..
..
बात उम्र की नहीं, #तापमान की हो रही है ?

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