नारी जीवन’ कविता नारी के महत्व और समाज में उसके विशेष स्थान का बोध कराती है .
“नारी जीवन” (कुण्डली6चरण )
नारी जीवन दायिनी,नारी से संसार,
हर रिश्ते की जान,वो वो ही घर परिवार,
वो ही घर परिवार,वही ये जग के नाते,
नारी शक्ती रूप,प्रेम नारी से पाते,
“प्रेमी” नर वुनियाद बनी ,नारी के ही तन,
नारी की पहिचान,बना ये नारी जीवन।
रचियता -महादेव प्रेमी
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