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मानवता के सच्चे कर्णधार

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डाॅक्टर, नर्स, सफाईकर्मी, पुलिस

या चाहे हो वो पत्रकार

विपत्ति की विकट घड़ी में

लगते स्वयं ईश्वर का अवतार

 

स्वहित त्याग कर लोकहित के लिए

जिन्होंने त्यागा अपना घर-बार

उन्हीं में ढूंढो उसको, जिसके लिए

तुम जाते मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वार

 

शत शत नमन भी कम पड़ते हैं

ये मानवता के सच्चे कर्णधार

न फेंको पत्थर, न रोको राहें

कुछ तो सोचों, कुछ तो करो विचार

 

कोरोना सहस्त्र फन फैलाए खडा है

बन्द करो उसके मुंह पर, अपने द्वार

घर पर रहो , हाथों को धोओ, मर्यादित रहो

पूर्वजों ने हमारे, हममें डालें

जीओ और जीने दो के संस्कार

– सुनीता मृदुल

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5 Comments

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