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अंतःपुर का राज और रखवाले- चेतन मन अवचेतन तन अपने आप को पहचानिये

Mystery of subconsious mind

अंतःपुर का राज और रखवाले चेतन मन अवचेतन तन अपने आप को पहचानिये
डाॅ.श्रीगोपाल काबरा

क्या आप जानते हैं कि नर्वस सिस्टम – तंत्रिका तंत्र – के दो भाग होते हैं केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (सेन्ट्रल नवर्स सिस्टम) और परिधीय तंत्रिका तंत्र (पेरीफेरल नर्वस सिस्टम)?

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क (ब्रेन) और मेरुरज्जु (स्पाइनल काॅर्ड) से बना होता है और परिधीय तं़ित्रका तंत्र कपालीय तंत्रिकाओं (क्रेनियल नर्वज) और मेरुरज्जु तंत्रिकाओं (स्पाइनल नर्वज) से आयी अनुकंपी (सिम्पेथेटिक ) और परानुकंपी (पेरासिम्पेथेटिक) तंत्रिकाओं और उनके गेंग्लिया से बनी होती है जो नवलखा हार की तरह मेरुदंड के दोनो और स्थित होता है। सिम्पेथेटिक गेंग्लिया का हार और पेरासिम्पेथेटिक का ऊपर और नीचे टीका और करघनी (क्रेनियो-काॅडल)।
अनुकंपी (सिम्पेथेटिक) और पेरानुकंपी (पेरासिम्पेथेटिक) दोनांे आत्मग तंत्रिकातंत्र (ओटोनोमिक नर्वस सिस्टम) बनाते हैं जो अवचेतन मस्तिष्क का काम करता है। आत्मग तंत्रिकाओं और संवेदकों (रिसेप्टर्स) का जाल षरीर के हर भाग, हर अंग और अंग के हर ऊतक (टिष्यू) मे फैला होता है, हर रक्त वाहिनी पर इसका जाल होता है।
नर्वस सिस्टम – तंत्रिका तंत्र के कार्यत्मक या क्रियाषीलता के अनुरूप दो भाग होते हैं – सोमेटिक और ओटोनोमिक।
सोमेटिक (सोमा = काया – कायिक) जो चेतना (काॅन्षस) के स्तर पर एच्छिक (वोलन्टरी) कार्य करने को सक्षम होता है और ओटोनोमिक (ओटो = स्वतः – स्वतःसंचालित, आत्मग) जो अवचेतन में प्राणी की इच्छा षक्ति से मुक्त, स्वतःस्फूर्त कार्यरत रहता है।
चेतन मस्तिष्क (सोमेटिक) बाहरी जगत से संपर्क और समन्वय बनाये रखता है और अवचेतन मस्तिष्क (ओटोनोमिक) षरीर के आंतरिक संसार से।

चेतन और अवचेतन मस्तिष्क में आपस में समन्वय करने को उनके संधिस्थल पर स्थित होता है लिम्बिक सिस्टम (लिम्बस = कुंडलाकार मस्तिष्क)। लिम्बिक सिस्टम चेतन मस्तिष्क से प्राप्त संवेदनाओं का विष्लेषण कर क्रियान्वयन के लिए अवचेतन मस्तिष्क के संचालक हाइपोथेलेमस को भेजता है।
जैसे ज्ञानेन्द्रियों से मिले संवेगों से चेतन मस्तिष्क खतरा अनुभूत करता है और लिम्बिक सिस्टम के माध्यम से अवचेतन मस्तिष्क को प्रतिक्रिया में भागने (फ्लाइट) या लड़ने (फाइट) को तैयार करने के आदेष देता है। अवचेतन मस्तिष्क मांसपेषियों में रक्त संचार बढा कर, हृदय और स्वांस की गति बढा कर भागने या लड़ने के लिए तैयार करता है। भागना या लड़ना एच्छिक कार्य है अतः उसका आदेष चेतन मस्तिष्क से ही देगा लेकिन उसकी व्यापक तैयारी अवचेतन मस्तिष्क करता है।
दोनों तंत्र (सोमेटिक और ओटोनोमिक) के संवेद वाहक आवक और आवेग वाहक जावक भाग होते हैं। सोमेटिक तंत्र को संवेग बाहरी ज्ञानेन्द्रियों से आते हैं – नासिका से गंध, नेत्रों से ज्योति, कानों से श्रवण, जीभ से स्वाद और त्वचा से स्पर्ष, ताप और दर्द। ये सभी संवेग चेतना में पहुंचते हैं।
ओटोनोमिक तंत्र के संवेग षरीर के अंगों और रक्त वाहिनियों में स्थित कीमोरिसेप्टर (रासायनिक संवेदक) और बेरोरिसेप्टर या स्ट्रेच रिसेप्टर (दबाव या खिंचाव संवेदक) से आते हैं। ये संवेग अवचेतन में ही रहते हैं।
भूख और प्यास की अनुभूति चेतन मस्तिष्क में होती है और इसकी पूर्ति के साधन भी वही जुटाता है लेकिन भोजन के पाचन, अवषोषण और वितरण की व्यवस्था अवचेतन मस्तिष्क करता है। आमाषय, अग्नाषय और छोटी आंत में पाचक स्रावों का संचालन ओटोनोमिक सिस्टम करता है।
स्वास और हृदय की सामान्य गति स्वतःस्फूर्त अवचेतन मस्तिष्क से होती रहती है। रक्त में आक्सीजन की कमी या कार्बनडाइआक्साइड की अधिकता होने पर कीमोरिसेप्टर्स इसकी सूचना हाइपोथेलामस को देते हैं जो स्वास गति को बढा देता है। इसी प्रकार किसी अंग के रक्त संचार कम होने पर या रक्त चाप गिरने की सूचना भी तुरंत हाइपोथेलेमस को मिल जाती है और वह हृदय गति या रक्तचाप बढा कर इसका निवारण करता है।


मल मूत्र की उत्पति और विसर्जन की व्यवस्था भी अवचेतन मस्तिष्क के जिम्मे होती है। इन्हीं सभी व्यवस्थाओं के माध्यम से ओटोनोमिक सिस्टम षरीर के आंतरिक परिवेष (इन्टर्नल मील्यू) को सम और स्थिर (काॅस्टेंट) बनाये रखता है? जीवन इसी से संभव है।
कामेच्छा चेतन मस्तिष्क में जाग्रत होती है। इसे जाग्रत करता है लिम्बिक सिस्टम और कामक्रिया के क्रियान्वयन के लिए अंतःपुरी व्यवस्था अवचेतन मस्तिष्क, ओटोनामिक नर्वस सिस्टम, करता है।
लिम्बिक सिस्टम जहां एक और चेतन मस्तिष्क में कामेच्छा जाग्रत करता है वहीं दूसरी ओर अंतःपुर के राजा हाइपोथेलामस को प्रजनन के लिए इसकी व्यवस्था करने का आदेष देता है।
हाइपोथेलामस अपने अधिनस्थ तांत्रिका तंत्र द्वारा रतिक्रिया के लिए सक्षम बनाता है और पियूष ग्रंथि से यौन हाॅर्मोन स्रावित कर प्रजनन के लिए आवष्यक संसाधान की व्यवस्था करता है। इसी लिए इसे अंतःपुर का राजा, रनिवास का रखवाला या हरम का दरोगा कहा जाता है।
कामक्रिया का संचालन चेतन मस्तिष्क ही करता है लेकिन तनाव और स्खलन क्रमषः ओटोनोमिक सिस्टम के सिम्पथेटिक और पेरासिम्पेथेटिक भाग द्वारा होता है। चरम सुखानुभूति लिम्बिक सिस्टम में होती है।
डाॅ.श्रीगोपाल काबरा
15, विजय नगर, डी-ब्लाॅक, मालवीय नगर, जयपुर – 302017
मोबाइल 8003516198

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