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जगाते है-कविता-बात अपने देश की

A symbolic image of a thoughtful writer spreading light from his pen to awaken people, symbolizing the transformative power of literature and selfless creativity.

मैं अपने बारे में आज

सभी को कुछ बताता हूँ। 

मेरी लेखनी के भी मैं

गुण दोष बताता हूँ। 

भले ही लोग मुझको

पसंद कम करते है। 

मगर मेरी निष्ठा पर

सवाल कोई नही करते।। 
मैं मन से तो बहुत ज्यादा

अमीर इंसान हूँ लोगों। 

मगर धन से मेरे जैसा

कोई कंगाल नही होगा। 

मैं तन से भी बहुत ज्यादा

खुशाल इंसान हूँ लोगों। 

मगर मेरी लेखनी में समावेश

इनका नही होता।। 
इरादा हम अगर कर ले तो

सब कुछ कर सकते है। 

अंधेरो में भी हम लोगों को

रोशनी फैला सकते है ।। 

मैं अपनी लेखनी से जगाता हूँ

सोये लोगों को। 

उन्हें पुन: जीवित करके

खोई प्रतिष्ठा हासिल करवाते है।। 
यही तो काम होता है

हम सब लेखको का। 

जो पुरानी सभ्यता को

 नये सांचे में ढालते है। 

और सोये और खोये को

जगाते और मिलाते है। 

सभी में प्रेम-भावों की

लहर संचार कराते है।। 
जय जिनेंद्र

संजय जैन “बीना” मुंबई

नाम : संजय जैन “बीना” मुंबई

शिक्षा : पी.जी एवम एम बी.ए.

साहित्य उपलब्धियाँ:-

नव भारत टाइम्स में ब्लाक लिखता हूँ “हालचाल” और भी पत्र पत्रिकाओं और लोक कल पेपर्स में मेरी कविताएँ गीत और लेख प्रकाशित होते रहते है। 

संस्थाओ द्वारा अवार्ड :- करीब 200 अब तक मिल चुके है। जो की अनेक मंचों पर समाजिक संस्थाओं और क्लाब आदि द्वारा प्रदान किये गये है। 

व्यवसाय :- मुंबई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में प्रबंधक के पद पर कार्यरत हूँ। 

विशेषताएँ:- मंचों का संचालन करना, काव्य पाठ करना, आर्केस्ट्रा में गाना। ये सब मेरे शौक है। कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ा हुआ हूँ। 

E मेल : [email protected]

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