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आजाद गजल -क्या मिला!

व्यंग्यात्मक प्रतीकों का एक चित्र जिसमें आम, बंदर, सांप, दीवारें, नेता आदि को व्यंग्य के भाव में प्रस्तुत किया गया है।

हो लाल पीला तिलमिलाकर क्या मिला

क्रोध करके कुलमिलाकर क्या मिला!

रस पाने हेतु आम को नरम करना लाजमी

अपना भेजा पिलपिला कर क्या मिला!

हंसते-हंसते खूब उनका पेट दुखने लगा

संवेदना में बिलबिलाकर क्या मिला!

सुख बढ़ता है अपनी खुशियां बांटने से

बाथरूम में खिलखिला कर क्या मिला!

प्यास बुझाना बेशक बड़ा परोपकार है

भूखे को पानी पिलाकर क्या मिला!

पेड़ की डाली हिलाते,फल फूल झड़ते

हिलता हुआ पर्दा हिलाकर क्या मिला!

मसाले से दाल सब्जी का स्वाद बढ़ता

तथ्यों में नमक-मिर्च मिलाकर क्या मिला!

मुस्कुराकर बोलते तो दीवारें भी गुनगुनातीं

घर में अपना डर बिठाकर क्या मिला!

खतरनाक है उसके हाथ में उस्तरा होना

बंदर को हजामत सिखाकर क्या मिला!

अंधेरे में मासूम जुगनू जश्न मनाते शान से

रोशनी का सिलसिला कर क्या मिला!

मन को महकाता,याराना इमानदारों से

कायरों से हिलमिलाकर क्या मिला!

राष्ट्र गौरव,स्वाभिमान की चेतना नहीं

ऐसे मुर्दों को जिलाकर क्या मिला!

अपनों को अपनाना,निभाना नहीं आया

परायों से शिकवा-गिलाकर क्या मिला!

माना दूध पिलाने की परंपरा है पुरानी

सांप को जहर पिलाकर क्या मिला!

देश की महिमा गरिमा से खेलता रहता

ऐसे नेता को जीत दिलाकर क्या मिला –

प्रहलाद श्रीमाली

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