कोई फुटबॉल के नियमों से हॉकी खेलता है क्या?

कोई फुटबॉल के नियमों से हॉकी खेलता है क्या???

हर खेल के अपने नियम होते हैं।फुटबॉल में बॉल यदि हाथ पर लग जाये तो फ़ाउल होता है पर हॉकी में पैर से लग जाये तो फ़ाउल होता है।क्या हॉकी के नियमो से फुटबॉल और फुटबॉल के नियमों से हॉकी खेली जा सकती है?
आयुर्वेद और एलोपैथी को भी इसी तरह समझना चाहिए था।दोनों की तुलना करना तर्क संगत नही है।लेकिन जब आयुर्वेदिक दवाओं को “कोरोनिल “के नाम से बेचोगे तो तुलना होगी।
आयुर्वेद का सबसे बड़ा नुकसान आयुर्वेद वालों ने ही किया है।अधिकांश आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथी की प्रैक्टिस करते हैं।आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को छोड़कर उसे एलोपैथी का प्रतिस्पर्धी बनाने की कोशिश करते हैं।आपको कोई भी एलोपैथी डॉक्टर सामान्य खांसी जुकाम के भी सौ प्रतिशत ठीक होने की गारंटी लेता कभी नही दिखाई देगा लेकिन
आयुर्वेद के बहुत से प्रकांड विद्वान कैंसर,एड्स जैसी बीमारियों को भी सौ प्रतिशत ठीक करने का दावा करते दिखाई देंगे। अब आयुर्वेद का ऐसे प्रचार प्रसार करेंगे तो उन्हें एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की कसौटी पर भी परखा जाएगा।और जब एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की बात आएगी तो फिर आयुर्वेद की दवाओं को भी उन्ही सारी जटिल और लंबी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होगा जिससे होकर एलोपैथी की हर दवा गुजरती है।
एलोपैथी में हर पल नई रिसर्च होती रहती है,वैज्ञानिक अपनी ही की गई किसी खोज को गलत साबित करने में ज़रा भी नही हिचकिचाते न उन्हें शर्मिदगी होती है।ऐसी ऐसी दवाएं और प्रोसीज़र्स जो आज लाखों लोगों की जान बचा रहे हैं कल उनसे बेहतर दवा या प्रोसीजर आने पर बेकार साबित हो जाएंगे ।पिछले कई दशकों में डायलीसिस ने क्रोनिक किडनी डिजीज के लाखों मरीजों को कई -कई साल ज़िंदा रखा है।कल यदि आर्टिफीसियल किडनी आती है तो डायलिसिस प्रक्रिया इतिहास का हिस्सा बन जाएगी। आज जिस डायलिसिस को जीवन दायिनी प्रक्रिया समझा जाता है ,कल उसे एक तरह की यंत्रणा कहा जाए तो आश्चर्य नही होना चाहिए।
किसी भी पद्धति में यदि कोई वाकई अच्छी बात है तो देर -सवेर पूरा विश्व उसे स्वीकार करता है ।आयुर्वेद में योग के महत्व को आज कौन नकार सकता है।मुझे तो सोशल मीडिया में आयुर्वेद वालों से ज्यादा एलोपैथी डॉक्टर योग करते दिखाई देते हैं।
लेकिन मेरे प्यारे आयुर्वेदिक चिकित्सक मित्रो, फुटबाल के नियमो से हॉकी खेलोगे तो अपना मज़ाक खुद ही बनवाओगे।
एलोपैथी मेडिकल कॉलेज में जाकर आयुर्वेदिक दवा पर रीसर्च करोगे और उसे “कोरोनिल “के नाम से बेचोगे तो पैसा भले ही कमा लो पर आयुर्वेद का नाम और नीचे ले जाओगे।

-डॉ राज शेखर यादव
फिजिशियन एंड ब्लॉगर

https://artancrafts.in/radhanagar-beach-havelock-island-sunset/

Dr Rajshekhar Yadav

Content Writer at Baat Apne Desh Ki

Dr Rajshekhar Yadav is a passionate writer who shares insights and knowledge about various topics on Baat Apne Desh Ki.

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