अब मेरा कौन सहारा: देसी इलाज, सरकारी योजनाएँ और छेदी लाल का व्यंग्य Ram Kumar Joshi November 23, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment सरकारी अस्पताल से बाहर निकलता छेदी लाल सिर्फ़ दवा की कमी से नहीं, टूटी परंपराओं और बदलती नीतियों से भी परेशान है। संधाणा के दिनों… Spread the love
व्यंग्य का वैश्विक और हिंदी साहित्यिक परिप्रेक्ष्य डॉ मुकेश 'असीमित' November 22, 2025 शोध लेख 0 Comments पश्चिमी साहित्य में ऑस्टेन, स्विफ्ट, ऑरवेल और हक्सले जिस तीक्ष्ण हास्य से समाज और सत्ता की विसंगतियों को खोलते हैं, वहीं हिंदी में परसाई, शरद… Spread the love
पूँजीवाद की टंकी से फ्लश करता बाजार डॉ मुकेश 'असीमित' November 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments पूँजीवाद आज हमारे जीवन का रिमोट कंट्रोल बन चुका है। वह तय करता है कि हमें क्या खरीदना है, क्या छोड़ना है और किस चीज़… Spread the love
जनजातीय समुदायों का पारम्परिक पर्यावरण विज्ञान : प्रकृति के साथ सह-जीवन की विराट गाथा डॉ मुकेश 'असीमित' November 21, 2025 शोध लेख 0 Comments भारत के जनजातीय समुदायों का पारम्परिक पर्यावरण विज्ञान प्रकृति के साथ उनके जीवित, गहरे और सर्जनात्मक संबंध को व्यक्त करता है। मौसम, जंगल, जल, बीज… Spread the love
परम्परागत ज्ञान की अवधारणा : एक गहन और रोचक विश्लेषण डॉ मुकेश 'असीमित' November 20, 2025 हिंदी लेख 0 Comments परम्परागत पर्यावरणीय ज्ञान प्रकृति से मनुष्य के सदियों पुराने संबंध का जीवित दस्तावेज़ है। यह अनुभव, अवलोकन, अनुकूलन, सामुदायिक जिम्मेदारी और आध्यात्मिक संवेदना पर आधारित… Spread the love
मेरा कमरा मेरा सलाहकार Vivek Ranjan Shreevastav November 19, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments कमरे में घुसते ही लगा जैसे पूरा देश भीतर उतर आया हो। छत ऊँचा सोचने का उपदेश दे रही थी, पंखा शोर मचाते हुए ठंडा… Spread the love
भगवान परीक्षा ले रहा है-हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' November 17, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments भगवान के पास और कोई काम नहीं? हर परेशानी पर लोग इतना ही कहते हैं—धैर्य रखो, भगवान परीक्षा ले रहे हैं…मानो ऊपर कोई परीक्षा बोर्ड… Spread the love
“सरदार @150 यूनिटी मार्च : युवा कदमों से गूँजता एक भारत, आत्मनिर्भर भारत” डॉ मुकेश 'असीमित' November 16, 2025 News and Events 0 Comments “कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक 779 जिलों में एक साथ उठते कदम, सरदार पटेल के सपने को फिर से जीवंत करेंगे—यह पदयात्रा… Spread the love
थानेदार का वादा-हास्य व्यंग्य रचना Ram Kumar Joshi November 12, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments “When the bottle climbs, memories fall — and so do official scruples.” “’Promise,’ said the Thanedaar — and the ledger smiled back with five hundred… Spread the love
ट्रकों का दर्शनशास्त्र: सड़क का पहलवान और प्रेम का दार्शनिक डॉ मुकेश 'असीमित' November 12, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “The truck isn’t just metal — it’s a moving philosophy, painted with poetry and powered by diesel.” “Between the roar of the engine and the… Spread the love