Ram Kumar Joshi
Sep 3, 2025
व्यंग रचनाएं
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During a saint’s sermon on life’s impermanence, a villager asked the meaning of "Late" written before names after death. His friend explained—Englishmen are buried, so they keep lying in graves, hence "Late." For us, it’s "Swargiya," since we go to heaven. Their talk outshone the sermon’s seriousness
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 3, 2025
व्यंग रचनाएं
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“रायतपुराण” भोजन-संस्कृति का हास्य-व्यंग्यात्मक आख्यान है। सागर-मंथन से जन्मा यह दधि-व्यंजन कभी पंगत का गौरव था, तो आज बुफ़े की प्लेट के कोने में सहमा पड़ा है। कभी भूखे बारातियों का उद्धार करता, तो कभी फूफा के हाथों विवादों में फैलाया जाता। अब यह थालियों से निकलकर सोशल मीडिया की दीवारों पर अफ़वाहों और राजनीति का प्रतीक बन चुका है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 2, 2025
व्यंग रचनाएं
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डिजिटल युग की हंसी अब मुँह से नहीं, मोबाइल से निकलती है। पिता ‘LOL’ सुनकर असली हंसी देखना चाहते हैं, जबकि बेटा ‘BRB’, ‘ROFL’, ‘IDK’ जैसे कोड में ही भावनाएँ व्यक्त कर देता है। व्यंग्य यह है कि असली संवाद खो गया है और अब हंसी भी इमोजी व शॉर्टकट पर आउटसोर्स हो गई है। यही है हमारी पीढ़ियों का नया “लाफ्टर क्लब”—ऑनलाइन!
डॉ मुकेश 'असीमित'
Aug 31, 2025
व्यंग रचनाएं
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“दीवारों का कैनवास और-दीवारें फिर बोल उठी बचपन में ले चलता हूँ… क्या करूँ, सारी मीठी यादें तो बचपन के पिटारे में ही रह गईं। बिल्कुल उसी दादी माँ के पिटारे की तरह, जिसे हम उनकी नज़रों से बचाकर उत्सुकतावश खोल ही लेते थे। मन में कौतूहल—आख़िर दादी इस पिटारे में क्या छुपाकर रखती हैं? […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Aug 30, 2025
Blogs
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मरीज की असली तकलीफ़ टूटी हुई हड्डी नहीं, बल्कि टूटा हुआ घर-गृहस्थी का संतुलन है। डॉक्टर जब पक्का प्लास्टर लगाने का हुक्म सुनाता है तो लगता है जैसे घर में आपातकाल लागू कर दिया हो। मरीज की गुहार–“डॉक्टर साहब, घर में कोई काम करने वाला नहीं!”–अब डॉक्टर के लिए नए बिज़नेस का आइडिया बन चुकी है। बेसिक, गोल्डन और प्रीमियम पैकेज समेत!
डॉ मुकेश 'असीमित'
Aug 29, 2025
व्यंग रचनाएं
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*"ए.सी. डिब्बे की यात्रा कई बार हॉरर फिल्म जैसी लग सकती है। सफेद चादर ओढ़े यात्री ममी जैसे लगते हैं, और चौकीदार हाथ में लालटेन लिए किसी भूतहा हवेली का गार्ड प्रतीत होता है। मोबाइल की टॉर्च से सीट नंबर खोजना किसी रहस्यमयी लिपि पढ़ने जैसा अनुभव बन जाता है। सच मानिए, 'मम्मी रिटर्न्स: ए.सी. कोच एडिशन' किसी भी थ्रिलर मूवी को मात दे सकती है।"*
डॉ मुकेश 'असीमित'
Aug 28, 2025
लघु कथा
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शहर के सात सितारा आईसीयू के बाहर रिश्तेदार चाय की चुस्कियों और तानों में लगे हैं। अमन का दिल पिता की वेंटिलेटर पर गिनती करती साँसों और नौकरी के अल्टीमेटम के बीच झूल रहा है। इसी बीच ‘संस्कार प्लानर प्राइवेट लिमिटेड’ वाला इवेंट मैनेजर प्रवेश करता है, शोकसभा का पैकेज थमाते हुए। रिश्तों की अंतिम सांसों को मशीनें खींच रही हैं और संवेदनाएँ कॉर्पोरेट पैकेज में बदल रही हैं।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Aug 27, 2025
व्यंग रचनाएं
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गणेश चतुर्थी पर जहाँ सब गणपति की स्तुति करते हैं, वहीं उनके वाहन मूषकराज की महिमा भी अद्वितीय है। छोटे आकार में विराट शक्ति का प्रतीक मूषक राज निर्माण और विनाश दोनों का पाठ पढ़ाते हैं। राजनीति की गलियों से लेकर धर्म की रणभूमि तक, उनकी चपलता और सजगता हमें सिखाती है कि सत्य के मार्ग पर बड़ा बनने के लिए आकार नहीं, बल्कि बड़ा दिल चाहिए।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Aug 27, 2025
India Story
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शहर में चंदागिरी का धंधा खूब फल-फूल रहा है—यह दरअसल हफ्तावसूली का ही सभ्य संस्करण है। देवी-भक्त मंडल से लेकर राम-गौ-गणेश मंडल तक सबके चूल्हे चंदे की रोटी से जलते हैं। चंदावीर साम-दाम-दंड-भेद की सनातनी तकनीक से लोगों को घेरते हैं, कभी गाय-भक्ति तो कभी आयोजन के नाम पर। राजनीति भी वोट और चंदे की संयुक्त प्राणवायु पर टिकी है।
Ram Kumar Joshi
Aug 25, 2025
व्यंग रचनाएं
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चाय, दाल और बीबी—तीनों का स्वभाव है उबलना और देर तक उबलना। ठीक से न उबले तो न स्वाद, न खुशबू और न कड़कपन। चाय सुबह ताज़गी देती है, दाल दिन सुधारती है और बीबी जीवन सँवारती है। सही उबालिए, रंग चोखा लाइए, वरना स्वाद बिगड़ जाएगा।