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Category: हिंदी लेख

एक संकरे किराए के कमरे में बैठा एक युवक किताब लिए चिंतित मुद्रा में है, पीछे दीवार पर छिलकी पड़ी है, पास में एक बाल्टी, आधा जला बल्ब, और बाहर भैंस बंधी हुई दिख रही है — मकान मालिक बालकनी से उसे घूर रहा है।

किराएदार की व्यथा: एक हास्य-व्यंग्य रचना

इस रचना में किराएदार की ज़िंदगी की उन अनकही व्यथाओं को हास्य और व्यंग्य के लहज़े में उजागर किया गया है, जिन्हें हम सभी कभी…

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महर्षि वाल्मीकि नदी के तट पर क्रौंच पक्षी के जोड़े को देखकर द्रवित होते हैं।

क्रौंच पक्षी और वाल्मीकि: संवेदना से जन्मा साहित्य

महर्षि वाल्मीकि और क्रौंच पक्षी का ऐतिहासिक प्रसंग संस्कृत साहित्य में भावनात्मक संवेदना का महत्व कालिदास की काव्य कृतियों का मूल्य और समकालीन साहित्य साहित्य…

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"एक व्यंग्यात्मक चित्र जिसमें सरकारी राहतकर्मी दूरबीन लेकर बाढ़ में तैरते लोगों को निर्देश दे रहे हैं। एक हेलिकॉप्टर राहत सामग्री गिरा रहा है, नीचे मगरमच्छ लोगों के घरों में घुस चुके हैं, और बैकग्राउंड में ‘हर घर नल-जल’ योजना का पोस्टर पानी में बह रहा है। मंत्रीजी मंच पर प्रेस को संबोधित कर रहे हैं, पोस्टर और माइक के पीछे से झाँकते हुए।"

बाढ़ में डूबकर भी कैसे तरें-हास्य व्यंग्य रचना

बाढ़ आई नहीं कि सरकारी महकमें ‘आपदा प्रबंधन’ में ऐसे सक्रिय हो गए जैसे ‘मनौती’ पूरी हो गई हो। नदी उफनी नहीं कि पोस्टर लग…

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एक रंगीन मंच पर बुज़ुर्ग सेठजी, माला पहने, गाय को चारा डालते हुए दिखाए गए हैं। पीछे होर्डिंग पर लिखा है “समाजसेवी राम भरोसा जी का जन्मोत्सव।” मंच पर माइक, बैनर और भीड़ जुटाने के लिए बुलाए गए कुछ लोग बैठे हैं। एक कोने में मास्टर साहब प्रकाश डालने को तैयार हैं, जबकि मुनीम भोजन का संकेत दे रहा है।

जीवन पर प्रकाश डालिए-हास्य व्यंग्य रचना

सेठजी को अब ‘सेठ’ होने से संतोष नहीं, उन्हें ‘समाजसेवी’ भी बनना है—वो भी बिना समाज की सेवा किए! अखबार, होर्डिंग, माला और माइक की…

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A comic-style train scene showing a medical student hiding nervously during a ticketless train ride, while a ticket checker enters from the opposite end. A notice about fines for ticketless travel is visible in the background.

मेरी बे-टिकट रेल यात्रा-यात्रा संस्मरण

हॉस्टल की ‘थ्रिल भरी’ दुनिया से निकली एक रोमांचक रेल यात्रा की कहानी, जहाँ एक मेडिकल छात्र पुरानी आदतों के नशे में बिना टिकट कोटा…

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एक आम आदमी चप्पल पहने, सपनों की दुनिया में रंगीन चश्मा लगाए खुले आसमान की ओर देख रहा है, पीछे हल्का धुंधला बैकग्राउंड है जिसमें महल, रॉकेट, संसद और भारत माता की छवि बसी हुई है। वह अकेला किंतु संतुष्ट दिखाई देता है, मानो अपने सपनों में मगन हो।

व्यंग्य चिंतन में मुंगेरीलाल

मुंगेरीलाल केवल एक चरित्र नहीं, हर आम आदमी की अंतरात्मा है जो कठिन यथार्थ के बीच भी सुनहरे सपने देखता है। वह न पाखंडी है,…

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हास्य-व्यंग्य लेख जिसमें आधुनिक गुरु-शिष्य परंपरा की विडंबनाओं को उजागर किया गया है — गुरु अब समाधान नहीं, शॉर्टकट के स्रोत हैं और चेले केवल सौदेबाज़।

गुरु गुड ही रहे चेला चीनी हो गए-हास्य-व्यंग्य

गुरु अब ज्ञान के प्रतीक नहीं, शॉर्टकट और टिप्स देने वाले बाज़ारू ब्रांड बन चुके हैं। चेला बनना खतरे से खाली नहीं, क्योंकि हर चेला…

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एक थकी हुई जनता की प्रतीकात्मक छवि जिसमें साहब कुर्सी पर झुके हैं, चपरासी दीवार से टेक लगाए ऊंघ रहा है और बैकग्राउंड में लिखा है – "देव सो रहे हैं..." – दर्शाता है सामाजिक तटस्थता और भाषाई राजनीतिक विडंबना।

देव सो रहे हैं और आम आदमी पिट रहा है….? व्यंग्य

जब देव सोते हैं तो देश की नींव भी ऊंघने लगती है। जनता, बाबू, साहब और चपरासी सब अपनी-अपनी तरह से नींद का महिमामंडन करते…

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A humanoid robot gently rocks a wooden cradle with a sleeping baby inside, set in an A.I. lab with digital screens in the background.

अब ए.आई. भी ‘आई’ बन सकती है!-हास्य व्यंग्य

ए.आई. अब सिर्फ इंटेलिजेंस नहीं, अब वह ‘आई’ भी है! तकनीक की इस नई छलांग में अब प्रेम, गर्भ और पालन-पोषण भी कोडिंग से संभव…

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टॉयलेट सीट पर बैठा व्यक्ति मोबाइल में भक्ति, युद्ध और मोटिवेशनल वीडियो वाले संदेश फॉरवर्ड करते हुए, उसके चारों ओर तैरते मैसेज आइकन, सिर पर चमकता ज्ञान का बल्ब।

ये फिक्रमंद लोग-हास्य व्यंग्य

यह रचना आज के ‘व्हाट्सएप्प ज्ञानियों’ पर करारा व्यंग्य है, जो ब्रह्म मुहूर्त में ही टॉयलेट से लेकर तहज़ीब तक ज्ञान बाँटने निकल पड़ते हैं।…

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