मौन सब महारथी
देख रहे थे सभी ।
द्रोपदी का चीर हरण
कर रहा महारथी ।।
अट्हास कर रहा
चीर खींचता रहा ।
भीष्म द्रोण मौन थे
दुर्योधन देख हस रहा ।।
अश्रु आँख मे भरे
आर्तनाद कर रही ।
कृष्ण को पुकारती
द्रोपदी रो रही ।।
मौन थे पाण्डु सभी
थे सभी महारथी ।
हाय हाय कर रही
आज उनकी द्रोपदी ।।
हाय नाथ हाय नाथ
लाज अब जा रही ।
कृष्ण ने सुनी पुकार
चीर बढ़ती जा रही ।।
थक रहा महारथी
सास भी उखड़ रही ।
चीर खींच न सका
हार गया महारथी ।।
मौन हो गई सभा
दंग रह गये सभी ।
चीर कैसे बढ़ गई
देखते रहे सभी ।।

स्वरचित मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित है ।
रचनाकार
उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम ”
लखनऊ
उत्तर प्रदेश
भारत