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एक चिट्ठी भारत माँ के नाम

"भारत माँ की एक प्रतीकात्मक छवि, आँखों में आँसू, हाथ में मुरझाता तिरंगा, पृष्ठभूमि का एक हिस्सा गौरवशाली अतीत दर्शाता और दूसरा हिस्सा आधुनिक पतन और अव्यवस्था का चित्रण करता हुआ।"

एक चिट्ठी भारत माँ के नाम

परम् पूजनीय भारत माँ,
शत् – शत् नमन
मै आपके ही आँचल मै पली बढ़ी आपकी बेटी हूँ।
मैंने बचपन से यहीं जाना यहीं पढ़ा कि ये भूमि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी की है,
जहाँ वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई का शंख नाद आज भी सुनायीं देता है।
ये उन्ही स्वतंत्रता सेनानियों की धरा है जिसे बचाने की खातिर उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इस धरा को मैंने सर्व धर्म सद्भाव के स्वरों मे गीत गाते देखा है।
हऱ त्यौहार सब भारतवासियों ने मिलकर मनाया है,
विभिन्न संस्कृतियों का संगम है भारत।
सभी जन प्रेम से एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते रहे है।
मैंने यहाँ ईद और दीपावली दोनों मनायीं है।
यहाँ बिना किसी भेदभाव के सबको गले लगते देखा है।
पीपल और बरगद के चारों ओर बचपन के खेल खेले है।
फूलों की बगिया मे तितली के साथ रेस भी लगायी है।
भारतभूमि पर तरह तरह की वनस्पति को देखा है,
इसके विशाल वनों को किताबों मे पढ़ा और जाना है।
विशाल खनिज के भंडार है यहाँ।
गुरु महिमा भी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है।
लोक कलाओ, लोक कथाओं का मुकुट भारत भूमि के मस्तक पर सुशोभित है।
भारतीय राजनीति की विरासत जो चाचा नेहरू और अटल बिहारी बाजपेई के संबंधो की गर्माहट से पल्लवित हुई थीं वह भी अनुपम थी।
बाबा नागार्जुन और मैथिलि शरण गुप्त जैसे कवि जो मात्र दरबारी कवि नहीं थे अपितु खरी खरी कहने वाले और जन जन की आवाज थे
कैसे कैसे अनमोल रत्न भारत माँ के गर्भ से उत्पन्न हुए।
महावीर और गौतम बुद्ध जैसे तपस्वी भी हमारी अमूल्य धरोहर है।
कितना पावन कितना निर्मल कितना उज्ज्वल अतीत रहा है मेरी मातृभूमि का पर वर्तमान उतना सभ्य और सुंदर नहीं है
आज भारत मे पैसों और सत्ता का ही बोलबाला है।
ईमानदारी और मानवीयता कहीं छिप गईं है।
दौलत और शोहरत के सामने अब संस्कार मृत हो गये है।
सोशल मीडिया पर छल का कारोबार चलता है जहाँ झूठे संबंध पनपते है
लैंड लाईन से मोबाइल फोन,इंटरनेट और आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स तक का सफर बहुत डरावना रहा है।
हरी भरी धरती अब मॉल कल्चर से ढकी हुई है।
कहा जाता था कि लज्जा भारतीय नारी का आभूषण है पर आज इंस्ट्राग्राम और फेसबुक की रील्स रील्स भारत की बेटियाँ अश्लील गानों पर नग्न बदन की नुमाइश कर रही है
ताकि सब्सक्राइबर बढ़े और वायरल हो।
आज कवि साहित्यकार समाज का दर्पण नहीं है बल्कि दरबारी कवि है जिनका धर्म सत्ताधारी दल का महिमा मंडन करना है।
जंगल काटे जा रहे है उसके बाद ऑक्सीजन की कमी को सिलिंडर द्वारा पूरा किया जा रहा है।
आश्रम के नाम पर अवैध कार्य हो रहे है।
संतो का भगवा चोला महज आडम्बर है,
वे ईश्वर के कीर्तन की जगह सत्ता की गलियों और हवाई जहाज मे घूमते दिखायी देते है।
न जाने कितने लोग आज गुरु बनकर दरबार लगाये बैठे है जो आस्था का खेल खेल रहे है।
युवा नशे की गिरफ्त मे है
कहीं बलात्कार कहीं हत्या तो कहीं साइबर क्राइम…
ये कौन सा भारत है?
क्या यहीं था गाँधी के सपनो का भारत
आज भरुच मे स्टेचू ऑफ़ यूनिटी तो स्थापित कर दी गयी पर वास्तव मे वो एकता अखंडता खंड खंड कर दी गयी।
निजी स्वार्थो के चलते भारत के भाईचारे की दीवार ढहा दी गईं…
आज जो भारत माता की तस्वीर है वह, निस्तेज,अश्रुपूर्ण है।
कहाँ से कहाँ आ गये हम?
वो गौरवशाली दिन थे,
पर वर्तमान कुंठाग्रस्त है भले ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज तिरंगा यात्रा निकल रही हो
अमृत उत्सव मनाये जा रहे हो लेकिन आज भारत खोखला नजर आता है।
मुझे उम्मीद है कि अच्छे दिन आयेंगे…
माँ!आप फिर से मुस्कुराओगी

आपकी बेटी
नेहा जैन

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