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साक्षात्कार – पति पत्नी में अहम नहीं बल्कि मित्रता जरूरी

एक विवाहित जोड़ा आपस में स्नेहपूर्ण मुस्कान के साथ बात करते हुए, पारंपरिक भारतीय परिधान में, मिट्टी के रंग के बैकड्रॉप में बैठा है — दर्शाता है प्रेम, विश्वास और संवाद का सौंदर्य।

अक्सर पति-पत्नी में टकराहट का कारण उनका अहम होता है। आए दिन है हर घटना एक खबर बन जाती है।
पति ने पत्नी की व पत्नी ने पति की हत्या की? ऐसी दर्दनाक घटनाएं यूं ही पल में नहीं हो जाती, उनके पीछे रहस्योद्‌घाटन भी होते है ।
लेकिन सही कारणों का पर्दा नहीं खुल पाता है।

कुछ दिन पह‌ले मैंने आकांक्षा जी व राकेश जी से उनके सुखद वैवाहिक जीवन के रहस्य प्रकट कर सभी को लाभान्वित करने की मांग की।
उन्होंनें कुछ ऐसे अनुभव हमारे साथ साझा किए यदि कोई पति – पत्नी अपने जीवन में अपनाए तो आदर्श दपंति की संज्ञा देने से उनको कोई नहीं रोक सकता । जिसे हम आजकल की भाषा में ‘आइडल कपल’ कह सकते हैं। उनका बताया हुआ सबसे अच्छा बिंदु जो मुझे लगा
वो था कि पति पत्नी के बीच अहम नहीं बल्कि मित्रता होनी चाहिए, मित्रतापूर्ण संबंध में पति पत्नी को एक दूसरे के साथ समय बिताने का आनंद लेना चाहिए और एक दूसरे की भावनाओं का आदर करना चाहिए।
अपने साथी की भावनाओं का आदर करना चाहिए।
अपने साथी की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए एक दूसरे के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए।

आकांक्षा जी ने बताया कि यदि एक दूसरे से गलती होती है तो माफी मांगने में परहेज नहीं करना चाहिए और जहाँ माफी को अहम का बिंदु मान लिया जाता है वहां टकराहट स्वाभाविक होती है।

पति पत्नी में रिश्ते प्रबल तभी बन सकते हैं जब उनमें मित्रता का संबंध होगा, एक दूसरे को ये जताये कि आप मेरे लिए कितने महत्वपूर्ण हो ।
राकेश जी अपने व्यस्ततम समय में से भी पत्नी के लिए ‘क्वालिटी टाइम’ निकाल लेते हैं जो उनके रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है।
जहाँ तक मेरा मानना है ये सभी पति-पत्नियों के लिए बेहतर विकल्प है। एक दूसरे से हर मुद्दे पर बातचीत करें,राय लें एक दूसरे की ।

आकांक्षा जी कभी कभी छोटे आश्चर्यों से अपने साथी को खुश करती है जिसको आज‌कल ‘सरप्राइज’ कहते हैं।
आकांक्षा जी व राकेश जी आदर्श दंपति है शायद उनके नुस्खे अपनाएँ जाये तो रोजाना हो रही घटनाओं को कुछ कम किया जा सके।

राकेश जी ने बताया कि पति-पत्नी के बीच मित्रता एक ऐसा खूबसूरत रिश्ता है जो खुशी, संतुष्टि और एक दूसरे के लिए मजबूत बंधन लाता है।

दोस्ती का बंधन हर रिश्ते से ऊपर होता है और जिस दिन से पति-पत्नी के बीच अहम् नहीं बल्कि मित्रता का संबध बनने लग जाएगा , उसी दिन से उनका रिश्ता जल की तरह प्रवाहित होने लगेगा।
तो आइए ! इन नुस्खों को हम
भी अपने जीवन में उतारें और
दूसरों को भी बतायें,
जिससे किसी का संबंध बचाकर समाज को मजबूती प्रदान कर सकें। और आए दिन हो रही इन घटनाओं में कमी ला सकें।

रचनाकार -बबिता कुमावत

सहायक प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय नीमकाथाना, सीकर

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