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लुटेरी एयरलाइन्स और मग सुरैया जी की फनी ब़ोन

लुटेरी एयरलाइन्स और मग सुरैया की फनी बोन

लुटेरी एयरलाइन्स और मग सुरैया जी की फनी ब़ोन???

(व्यंग्य)
Rhymes Of India , में एक ब्लॉग आता है ,Funny bone ।उसके ब्लॉगर मग सुरैया जी एक बार दिल्ली से मुम्बई की विमान यात्रा कर रहे थे।
विमान में बैठते ही किराए को ले कर क्रू को गालियां देने लगे ।एयर होस्टेस ने समझाया सर आपको अपना किराया शायद इसलिए ज्यादा लग रहा है क्योंकि आप बिज़नेस क्लास में है।आप यदि अफोर्ड नही कर सकते थे तो आपको इकॉनमी क्लास का टिकट लेना चाहिए था।
इट्स सो सिंपल।

मग सुरैया जी गुस्से से तमतमाए और बोले इकॉनमी क्लास में कौनसा कम है ? उसकी सामान्य सी कुर्सी जो कि न सोने ,चांदी की है न उसमें कोई हीरे जवाहरात जड़ें है, न हम उसे खरीद कर घर ले जा रहें हैं ,मात्र 2 घंटे बैठ ही तो रहे हैं ।उस कुर्सी का 2 घंटे का किराया 15 हज़ार क्यों ?आप तो लूट रहे हो, पायलट को बुलाओ।
पायलट आये और मग सुरैया जी को समझाया सर ये 15 हजार केवल कुर्सी का किराया नही होता है इसमें पायलट्स ,क्रू ,सपोर्ट स्टाफ ,ग्राउंड स्टाफ ,इंजिनीयर्स की तनख्वाह ,सरकार के भारी भरकम टैक्सेज , विमान के ईंधन का खर्च ,एयरपोर्ट के पार्किंग के खर्चे ,विमान की लीज़, मेंटेनेंस इत्यादि सभी खर्च शामिल होते हैं, इसे कृपया आप केवल कुर्सी का किराया न समझें।
मग सुरैया जी संतुष्ट नही हुए ,बोले ये तो फिर भी बहुत ज्यादा है ,गरीब आदमी कैसे इसे अफोर्ड करे?
पायलट बोला, सर गरीबों के लिए सरकारी बस और ट्रेन सेवाएं होती हैं न जिनका किराया बेहद कम होता है।
मग सुरैया जी का गुस्सा अब भी सातवें आसमान पर था।
बोले और ये तुम न्यू ईयर पर ,फेस्टिवल्स पर ,वेकेशन्स में किराया दोगुना, तीन गुना करके हमे जो लूटते हो उसका क्या?
पायलट बोला,सर पूरी दुनियां में सभी बिज़नेस डिमांड -सप्लाई के आधार पर ही चलते हैं।ये तो मार्केट का सर्वमान्य नियम है । ऑफ सीजन में कई बार विमान कंपनीज को घाटा भी होता है।कितनी ही छोटी विमान कंपनीज हर साल घाटे के कारण बंद भी हो जाती हैं।
मग सुरैया जी बोले ,और ये 100 रुपए की चाय, इस का क्या जवाब है आपके पास?मेरे पड़ोस का चाय वाला तो 5 रुपये में बेचता है।
5 रुपये की चाय 100 रुपये में बेचकर आप जनता को लूटते हैं।
मैं शिकायत करूंगा।
पायलट ने कहा सर,देखिए,आपकी तरह ब्लॉग्स तो मेरा एक मित्र भी लिखता है फेसबुक पर,लेकिन Rhymes of India वाले आपको ब्लॉग्स के लिए जितने पैसे और मान सम्मान देते हैं उतना मेरे मित्र को थोड़े ही देंगे।और फिर मॉनिटरिंग के लिए dgca होता है न,वो चाहे तो चाय ,कॉफ़ी का रेट फिक्स कर दे,किसने रोका है उन्हें।
मग सुरैया जी फिर भी संतुष्ट नही हुए ,बोले कल हॉस्पिटल्स की लूट पर ब्लॉग लिखा था , बस एक बार इस प्लेन से सही सलामत उतर जाऊं फिर तुम पायलट्स और तुम्हारी कंपनीज की लूट पर भी Rhymes Of India में एक ब्लॉग लिखूंगा और तुम्हे एक्सपोज़ करूंगा। कुर्सी का 2 घंटे का किराया 15 हज़ार लेते हो,लुटेरे कहीं के!

-डॉ राज शेखर यादव
फिजिशियन एंड ब्लॉगर

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