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मुझको मेरा मायका दे दो-कविता रचना

"मायके की याद में भावुक स्त्री, पुराने आंगन और चौबारे को निहारती हुई।"

मुझको मेरा मायका दे दो ,

वो बिछुड़ी गली चौबारा दे दो ।

नहीं चाहिए सोना ,चांदी ,

नहीं चाहिए हीरा ,मोती ,

मुझको अंगना में छोटा किनारा दे दो ।

मुझको मेरा मायका दे दो ।।

एक रात रुक जाऊंगी ,

पूरा दिन मुस्कुराउंगी,

वो घर मेरा प्यारा दे दो ।

मुझको मेरा मायका दे दो ।

अपना नाम पुराना सुन लूं ,

अपनी बात अपनी धुन लूं ,

मुझको वो प्यार, दुलारा दे दो ।

मुझको मेरा मायका दे दो ।।

कभी पास ,मुझे बुला लो ,

कभी प्यार से गले लगा लो ,

गीत वो ही पुराना दे दो ।

मुझको मेरा मायका दे दो ।।

किसने बनाया ये दस्तूर ,

मुझे भेज दिया घर से दूर ,

मुझको अपना सहारा दे दो ।

मुझको मेरा मायका दे दो ।।

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