पान-दर्शन शास्त्र-हास्य व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 11, 2025 व्यंग रचनाएं 0

पान हमारी सभ्यता का ऐसा रस है जिसने गली-कूचों को संसद बना दिया। दीवारों पर मुफ्त “पीक आर्ट,” नेताओं के वादों में कत्था-चूना और जनता के मुँह में चुनावी पान—यह वही संस्कृति है जहाँ पानवाला ही न्यूज़ चैनल, गूगल मैप और थिंक-टैंक रहा। आज इंस्टा स्टोरी ने उसकी जगह ले ली है, मगर स्वाद, लाली और व्यंग्य अब भी उसी गिलौरी में छुपा है।

क्वांटम फिजिक्स और अध्यात्म: जब ‘वेव’ वेदांत से हाथ मिलाती है

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 9, 2025 Science Talk (विज्ञान जगत ) 0

When Vedanta shakes hands with Quantum, the monk smiles: “Wave or particle?—depends on who’s watching.” A saffron-clad thinker juggles photons and sine-waves like circus toys, one eye on a magnifying glass, the other on an Upanishad scroll. Behind him a chalkboard doodles “E=mc²,” while a temple gopuram hums “ॐ.” Science counts, scripture chants—but both whisper the same punchline: all is one, just differently measured.

ब्लडी रेटिंग्स ‘Zwigato’ में गिग वर्ल्ड की सच्चाई

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 8, 2025 Cinema Review 0

‘Zwigato’ एक गिग-इकॉनॉमी राइडर की रोज़मर्रा की जद्दोजहद का सधी हुई, मानवीय चित्रपट है—जहाँ ऐप का एल्गोरिदम नई फैक्ट्री है, रेटिंग नया ठप्पा, और बारिश में भी चलती है रोज़ी-रोटी की बाइक। कपिल-शाहाना की बिना शोर वाली अदाकारी बेरोज़गारी, शोषण और शहरी पलायन की सच्चाइयों को नरमी से काटती है।

ग्रहण : आत्मचिंतन की छाया में सूर्य और चंद्र

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 8, 2025 Culture 0

ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि भीतर की छाया का प्रतीक है। राहु हमारे मन और ज्ञान दोनों को ग्रसने की कोशिश करता है — कभी भावनाएँ मलिन करता है, कभी विवेक धुँधला। सूर्य और चंद्र की यह लीला हमें आत्मचिंतन सिखाती है: छाया चाहे गहरी हो, प्रकाश लौटता अवश्य है।

तीनों खगोलीय पिंडों की त्रिमूर्ति : पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की खगोलीय लीलाएं

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 8, 2025 शोध लेख 0

सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण सिर्फ़ खगोल नहीं, बल्कि खगोलीय कॉमेडी भी हैं। सूर्य बॉस की तरह, पृथ्वी मैनेजरनी और चंद्रमा नखरेबाज़ कवि की तरह बर्ताव करता है। इनकी शक्ति, आकार और वजन जब आपस में भिड़ते हैं, तो ग्रहण बनता है मानो आसमान में ब्रह्मांडीय नौटंकी का लाइव शो!

“Roses & Thorns” — a thought-provoking collection of satire by Dr. Mukesh Aseemit.

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 7, 2025 Book Review 2

Roses & Thorns by Dr. Mukesh Aseemit is a sharp, witty collection of satirical essays that slices through India’s socio-political absurdities. With the precision of an orthopedician, Aseemit dissects hypocrisy, education scams, political chaos, and everyday quirks through humor, irony, and poetic flair. Each essay stands alone, making satire approachable, relatable, and impactful—sometimes whimsical, often biting, but always thought-provoking and rooted in authentic cultural observation.

Lions Club Sarthak BOD Meeting Concluded

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 6, 2025 News and Events 0

Lions Club Sarthak’s BOD meeting in Gangapur City saw the presence of 24 members. Key discussions included the monthly Diabetes Check-up Camp, CPR Training Camp, and finalization of the Garba Festival on 26th September. The Oath-taking Ceremony was scheduled for 18th September by the DG, with Aman Verma and Vinod Gautam as coordinators. Plans for upcoming Divyangjan Assistance Camps in November were also made, along with social media promotion.

नेशनल बुक रीड डे : किताबों के साथ एक दिन

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 6, 2025 Important days 2

नेशनल बुक रीड डे किताबों की आत्मीयता का उत्सव है। किताबें थकी आत्मा को सुकून देती हैं, सोच को नई दिशा देती हैं और समय को ठहरा देती हैं। गुटेनबर्ग से लेकर आज के डिजिटल युग तक, किताबों ने जीवन की दिशा बदली है। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि पन्नों की सरसराहट में छिपी कहानियाँ ही असल में आत्मा का संगीत हैं।

खर्राटा संगीत-हास्य कविता

Ram Kumar Joshi Sep 5, 2025 हिंदी कविता 1

डा. राम कुमार जोशी की यह हास्य-व्यंग्य रचना "खर्राटा संगीत" वैवाहिक जीवन की हल्की-फुल्की खटास-मीठास को चुटीले अंदाज़ में पेश करती है। इसमें पत्नी के खर्राटों को संगीत की तरह रूपायित कर बांसुरी, ढोल और खर्र-खर्र की ध्वनियों से जोड़ते हुए विनोदी चित्र खड़ा किया गया है।

आखिर कब तक ढूढ़े मां-Poem

Mamta Avadhiya Sep 5, 2025 हिंदी कविता 0

यह रचना माँ के प्रति गहरी भावनाओं और स्मृतियों से भीगे रिश्ते का मार्मिक चित्रण है। इसमें माँ की गोद, आँचल और मुस्कान को याद करते हुए कवि अपने मन की बेचैनी, अधूरी बातों और सपनों की ओर संकेत करता है। प्रतीक्षा और तड़प इसे और भावुक बना देती है।