Wasim Alam
Jun 25, 2025
कहानी
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इस चित्र में झलकती है एक ऐसी औरत की कहानी, जो दिन भर अस्पताल की सफ़ाई करती है लेकिन असल में अपने जीवन की जद्दोजहद भी झाड़ती है। उसकी थकी आँखों में तीन बच्चों की ज़िम्मेदारी, माँ की ममता और पति की मजबूरी का बोझ साफ़ झलकता है। वह औरत कोई शिकायत नहीं करती, न ही अपने हालात पर रोती है — बस मुस्कराकर कहती है “सब ठीक है।” यह दृश्य सिर्फ़ एक कामवाली की नहीं, बल्कि उन लाखों स्त्रियों की प्रतिछाया है, जो अपनी पीड़ा को चुपचाप पी जाती हैं, लेकिन पूरे परिवार की रीढ़ बनी रहती हैं — बिना दिखावे के, बिना थमे।
Babita Kumawat
Jun 25, 2025
Hindi poems
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हिंदी केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मा की पहचान है। यह भाषा नहीं, सृजन की प्रेरणा है — जो प्रतिभा को आकार देती है और अज्ञान को मिटाती है। हिंदी का इतिहास, उसका सौंदर्य, और उसका वैश्विक व्यक्तित्व, हमें गर्व से भर देता है।
Dr Shailesh Shukla
Jun 24, 2025
Blogs
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जब हम छोटे थे तो समझते थे कि सबसे ताकतवर लोग पुलिसवाले होते हैं, फिर बड़े हुए तो लगा कि मंत्री सबसे ताकतवर होते हैं। लेकिन जैसे ही किसी सरकारी या कॉरपोरेट दफ्तर में कदम रखा, सच्चाई की बिजली गिरी— सबसे ताकतवर तो सामग्री विभाग का प्रमुख (Head of Material Department) होता है! यह कोई […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 24, 2025
Hindi poems
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एक मुखौटा जो क्रांति का नाम लेता है, और एक जाम जो सिंगल मॉल्ट से छलकता है।
डॉ. मुकेश 'असीमित' की यह तीखी व्यंग्यात्मक कविता उन स्वघोषित चिंतकों पर करारा कटाक्ष है — जो शब्दों से सर्वहारा का राग अलापते हैं, पर जीवन में सुविधाओं के सहारे सांस लेते हैं।
"बेसहारा सर्वहारा चिन्तक" सत्ता, दिखावे और वैचारिक दोगलेपन की उस रंगभूमि पर प्रहार करती है, जहाँ विमर्श क्लाइमेट चेंज और स्त्री अधिकारों पर होता है, पर ए.सी. और इंटर्न की सुविधा भी नहीं छोड़ी जाती।
यह रचना नारे और नैतिकता के बीच के खोखलेपन को उजागर करती है — तीखी, मार्मिक और असीमित शैली में।
Babita Kumawat
Jun 23, 2025
Poems
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गजल – रिश्ते रिश्तों में विसाल उतना है जरूरी, मेरे लिए हर सिम्त में रिश्ते है जरूरी पर कुछ लोग बना देते है मैदान-ए-मतकल, मेरी ख्वाहिश है बनाना रिश्तों में खुशी हर पल कैद-ए-बाम मिलते कुछ लोग ऐसे है, जो पेच-ओ-खम रिश्तों में डाल देते हैं मैं हर शाख, हर खार, हर कली से मिली, […]
Dr. Mulla Adam Ali
Jun 23, 2025
Blogs
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धरती हमारे जीवन की आधारशिला है — नीला अम्बर, हरी ज़मीन, और प्रकृति के अनमोल रंगों से सजी यह दुनिया हमें जीवन, शांति और सुख देती है। लेकिन बदलते समय के साथ मानव गतिविधियों ने इस संतुलन को खतरे में डाल दिया है। प्रस्तुत बाल कविता “धरती मां की पुकार” नन्हे मनों की जुबानी एक […]
Dr. Mulla Adam Ali
Jun 23, 2025
Blogs
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जंगल केवल पेड़ों और जानवरों का घर नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हरियाली, शांति, और जैव विविधता का प्रतीक हैं, जो धरती को संतुलन और सांसें प्रदान करते हैं। लेकिन आज मानवीय लालच और विकास की अंधी दौड़ ने इन प्राकृतिक धरोहरों को संकट में डाल दिया है। प्रस्तुत कविता “जंगल […]
Dr. Mulla Adam Ali
Jun 23, 2025
Blogs
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न कर छेड़खानी तू धरती से प्यारे, ये पेड़ हैं जीवन के सच्चे सहारे। नदियों की धारा, पवन की रवानी, सब कहते हैं — “मत कर बेइमानी।” हरियाली ओढ़े ये धरती सुहानी, तेरे ही कल की है ये राजधानी। फूलों की हँसी, पंछियों की ज़बानी, चुपचाप कहती है — “न कर मनमानी।” जब […]
Dr Amit Goyal
Jun 22, 2025
हिंदी कहानी
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मैंने अपने क्लीनिक में प्रवेश किया। कई मरीज़ विश्राम कक्ष में बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर संतोष था—शायद मेरे इलाज से उन्हें लाभ हुआ हो। कुछ आशंकित मुद्रा में बैठे थे—शायद पहली बार आए थे या फिर पूर्ववर्ती इलाज से संतुष्ट नहीं थे। एक वृद्ध सज्जन इधर-उधर टहल रहे थे। सफ़ेद दाढ़ी थोड़ी […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 22, 2025
Blogs
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तुम भगवान हो, तो गलती नहीं कर सकते — क्योंकि इंसान की तो गलती माफ़ होती है। अब जब भगवान बना दिया है, तो ये भी जान लो... इंसानों के हक़ मांगोगे, तो चोला उतार फेंका जाएगा। क्या कहा? छुट्टी चाहिए? भगवानों को छुट्टी नहीं मिलती... बस पूजा मिलती है या पत्थर!