साल की विदाई: क्या भूलूं, क्या याद करूं?

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 31, 2024 Blogs 0

यह वर्ष अपने अंतिम पायदान पर है, और हम सब एक नई छलांग लगाने की तैयारी में हैं। कल एक नया सवेरा, नया साल, और नया सूरज लेकर आएगा। पर मन पूछता है—क्या भूलूं, क्या याद करूं? समय की इस गहरी घाटी में झांकते हुए, ऐसा लगता है जैसे हर बीतता साल हमारे जीवन की […]

गजल-गुजरा वक्त -डॉ मुकेश असीमित

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 8, 2024 Blogs 0

वक़्त-ए-पीरी ये कैसी मुलाकातें , जैसे हों ख़्वाब-ओ-ग़ुज़िश्ता की बातें । चढ़ी जवानी में खो गया वो सफ़र, अब हैं दिल-ए-ख़राब की बातें । छेड़ के तान मधुर वो लौट न पाया, गुज़र गईं हवा में बस बेचैन रातें । ‘असीमित’ क्यों करे अब गिला यहाँ, फकत रह गईं बिखरी मुलाक़ातें । ~डॉ मुकेश असीमित […]

Mooshak Maharaaj Stuti -मूषक महाराज स्तुति

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 7, 2024 व्यंग रचनाएं 0

आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर विध्नहर्ता गणेश जी की स्तुति तो सभी करते ही हैं,उनके वाहन मूषकराज की भी स्तुति अत्यावश्यक है ! एक स्तुति गान मैंने वक्रतुण्डाय गणाधिपति से खैरात में मिली बुद्धी से सृजित की है,अगर पसंद आये तो कृपया अपने लायक ,कमेंट ,शेयर के मोदक मुझ खाकसार को प्रदान करें ! […]

गणेश वंदना-छंद रचना-डॉ मुकेश असीमित

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 7, 2024 Hindi poems 0

गणेश चतुर्थी विशेष… करहूँ स्तुति श्री गणपति, दीन दुखी के नाथ। दारुण दूर करहुं, तुम हो दीनों के साथ॥ विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा, शुभ करहुं हर बार। दीनदयालु, कृपा बरसाओ, जग में हो उजियार॥ करबो वंदन पारवती सुत की, मंगल मूर्ति विशाल। विघ्न विनाशक नाम तुम्हारो, सिद्धि दाता प्रतिपाल॥ मूषक वाहन, मोदक भोगी, भाल चंद्र […]

“मजे की राजनीति: भारतीय जीवन का मस्ती भरा दर्शन”

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 14, 2024 व्यंग रचनाएं 2

भारतीय आम आदमी की ज़िंदगी में काम नहीं, मज़ा ज़रूरी है। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स उसे नहीं समझ पाया — लेकिन वो तो मस्ती के लिए जीता है! नेताओं के भाषण हों या सरकारी घोषणाएं, सब कुछ ‘मजा आया की नहीं?’ से तय होता है। यही तो असली लोकतंत्र है – मजेदार लोकतंत्र!

“कोचिंग की कक्षाओं में क़ैद कच्चे ख्वाब: आधुनिक शिक्षा का अक्स”

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 13, 2024 हिंदी लेख 4

आजकल सोशल मीडिया पर रिजल्टों की मार्कशीटों की बरसात हो रही है, हर बच्चे के नब्बे प्रतिशत से कम अंक नहीं दिख रहे । माना कि आजकल शिक्षा नीति में परिवर्तन हुआ है, और अब बच्चों को उदारता से मार्क्स दिए जाते हैं,किसी को फ़ैल नहीं किया जाता है लेकिन हमारे जमाने की तरह तो […]

मकान मालिक की व्यथा –व्यंग रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 12, 2024 व्यंग रचनाएं 7

किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने ऐसे टटभुजिये मकान में शरण नहीं ली , मकान उनकी नजर में पनौती है ,कह रहे थे इस माकन में घुसते ही उनकी बेटी बीमार हो गयी ,डेड लाख रु […]

**पड़ोसियों को प्यार करो – व्यंग्य रचना**

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 9, 2024 व्यंग रचनाएं 0

बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब दिमाग था भी नहीं लगाने को। एक इंग्लिश का इडीयाज्म याद आता है, “लव दाई नेबर ” यानी “अपने पड़ोसी को प्यार करो”। कहते हैं न, आप दोस्त बदल सकते […]

दवा प्रतिनिधि से मुलाकात –

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 7, 2024 व्यंग रचनाएं 0

चैम्बर में अपनी एकमात्र कुर्सी पर धंसा ही था कि एक धीमी आवाज आई, “में आई कम इन सर ?” नजरें उठाकर देखा तो आगन्तुक मेरे सर के ऊपर खड़ा मुझसे अंदर आने की अनुमति मांग रहा था। शक्ल से दीन-दुखी सा, घबराया हुआ, जर्द चेहरा, आंखों में उदासी और शरीर थोड़ा सा कांप रहा […]

मेरा लोकतंत्र महान -व्यंग रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 6, 2024 व्यंग रचनाएं 0

हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प और भाव की तूती की आवाज दब के रह गयी थी.ये लोकतंत्र का आइना है, आपको चेहरा वो ही दिखाया जाता है जो आप देखना पसंद करते हैं. जाहिर है […]