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“रिश्ते (गजल ) दो छायाओं के बीच अनकहे जुड़ाव ।”

एक न्यूनतम चित्रण जिसमें दो अमूर्त मानव आकृतियाँ एक-दूसरे की ओर उन्मुख हैं, उनके बीच एक जुड़ाव रेखा है। ऊपर दिल और नीचे जुड़ी हुई प्रतीकात्मक आकृतियाँ रिश्तों की जटिलता और भावनात्मक गहराई को दर्शाती हैं।

गजल – रिश्ते

रिश्तों में विसाल उतना है जरूरी,

मेरे लिए हर सिम्त में रिश्ते है जरूरी

पर कुछ लोग बना देते है मैदान-ए-मतकल,

मेरी ख्वाहिश है बनाना रिश्तों में खुशी हर पल

कैद-ए-बाम मिलते कुछ लोग ऐसे है,

जो पेच-ओ-खम रिश्तों में डाल देते हैं

मैं हर शाख, हर खार, हर कली से मिली,

रिश्तों में मौसम-ए-बहार लाने को हर अजनबी से मिली

पर फिर भी खतवार मुझे समझा गया,

रिश्तों में अश्को की बरसात को नही समझा गया ।

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