जगाते है-कविता-बात अपने देश की Sanjaya Jain June 29, 2025 Poems 0 Comments यह आत्मपरिचयात्मक कविता एक लेखक के अंतरमन की झलक देती है — जहाँ लेखनी के गुण-दोष, धनहीनता में भी मन की समृद्धि, और समाज को… Spread the love
मकान मालिक की व्यथा –व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 12, 2024 व्यंग रचनाएं 1 Comment किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने… Spread the love
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 3, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ… Spread the love