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Tag: प्रकृति

“एक अमूर्त-अलौकिक चित्र जिसमें केंद्र में दीप्तिमान यज्ञ-कुंड है। उससे सुनहरी ध्वनि-तरंगें निकलकर नदियों, हवा और आकाश में घुल जाती हैं। बादलों में बिजली इंद्र का संकेत देती है, लौ में अग्नि का रूप है, चमकती धारा सोम का बोध कराती है, क्षितिज पर सूर्य और गुलाबी उषा झलकते हैं। संपूर्ण दृश्य तांबे-सोने, इंडिगो और टील रंगों में, सूक्ष्म वेदिक मण्डल आकृतियों और सितारों के साथ।”

“ऋग्वेद: ज्ञान के आदिम सागर की यात्रा”

भाग 1 कल्पना कीजिए वह समय, जब हाथ में कलम नहीं, कंधों पर कथा थी; जब ज्ञान कागज़ पर नहीं, स्मृति की नसों में दौड़ता…

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त के दृश्य में बारिश के बीच एक मंच पर झींगुर नेता भाषण दे रहे हैं, उनके सामने झींगुरों की भीड़ समर्थन में नारे लगा रही है। पीछे बैनर 'झींगुर अधिकार सम्मेलन' टंगा है, माहौल व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण है।

बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य

बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों…

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एक घना हरा-भरा जंगल जिसमें सामने एक हिरण खड़ा है, ऊपर एक पक्षी उड़ रहा है और एक कौआ झाड़ी पर बैठा है; पृष्ठभूमि में धुंध से ढकी पहाड़ियाँ और ऊँचे-ऊँचे पेड़ दिख रहे हैं।

जंगल की पुकार: हरियाली, जीवन और संरक्षण की कविता

जंगल केवल पेड़ों और जानवरों का घर नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हरियाली, शांति, और जैव विविधता का प्रतीक हैं, जो…

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