यूं तो रोटी,कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं बताई गई है मगर आज के युवा और परिजनों की दो ही मूलभूत आवश्यकता जान पड़ती हैनौकरी और छोकरी|कुछ हद तक सही भी है कि एक तू न मिली सारी दुनिया मिले भी तो क्या है?समय पर ये दो न मिले तो वह नकारा और कुंवारा से अभिशप्त हो जाता है|अभिशप्त आदमी अश्वत्थामा सा सदियों तक असीरगढ़ के जंगलों में भटकता रहता है|अब आप ही बताइए कि कौन अश्वत्थामा बनना चाहेगा? किंवदंती है कि ‘अच्छी नौकरी होगी तो अच्छी छोकरी मिलेगी’ लेकिन इन दिनों छोकरियां जिन आधा पाव प्रेमियों के बदले अच्छे-भले अपने नौकरीपेशा पतियों को मौत के घाट बल्कि खाइयों में उतार रही है,तो इसकी भी गारंटी नहीं रही|कई बार इस उक्ति पर भरोसा कर कोई देव जब तक अच्छी नौकरी ढूंढकर लौटता है अंजली,किसी राम की हो चुकी होती है|देखने में तो आया है कि राज के लिए राजा को भी मारना पड़े तो वो ग़म नहीं पालती|बस इसी वजह से इन दिनों यंगिस्तान में भय का वातावरण व्याप्त है|नौकरी के लिए एक बार सरकार पर दबाव बना भी लें लेकिन छोकरी के लिए क्या किया जाए?गड़बड़ लिंगानुपात के दौर में छोकरी वाले दबाव की राजनीति बिल्कुल पसंद नहीं करते|दूसरा नौकरी सरकारी नहीं तो प्राइवेट भी चल जाती है लेकिन छोकरी पर ये बात लागू नहीं होती|लोग चप्पल घिसने तक छोकरियां देखे चले जा रहे हैं|यूं तो कथा,सत्संग हों या ध्यान योग शिविर किसी बहाने लड़कियों को देख ही लिया जाता है लेकिन इस टाइप से नहीं उस टाइप से लड़की देखने की बात करें तो लड़की देखना इतना आसान नहीं|यह जीवन का एक बहुत जरूरी कार्य है|आपके डेलिगेशन द्वारा लड़की देख लेने के बाद अंतिम निर्णय हेतु जब भी आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान
(1)आप बन-ठन डबल हाथ सेविंग कर पूरी तैयारी से लड़की देखने गए|सगाई-शादी जैसे अवसरों पर जब सारे काम एक तरफ और महिलाओं का मेकअप एक तरफ होता है लेकिन आप देखते हैं कि लड़की उठी-छूटी बिना मेकअप सेट पर आ गई…गोया पानी देने नहीं पोंछा लगाने आई हों,तो आपको पैकअप करते देर नहीं करनी चाहिए|
(2)आप मारे खुशी के निर्धारित समय से घंटा भर पूर्व ही लड़की के घर तशरीफ ले जाकर रख चुके हैं|उसके परिजनों के संग आधा कप चाय और माथा भर चर्चा भी कर चुके हैं|आप चकोर टाइप चंद्रदर्शन की प्रतिक्षा में है|लड़की घंटा भर पश्चात नमूदार होती है तो समझिए देर से दुर्घटना भली|आप हिट विकेट होकर पवेलियन लौट जाए तो ही अच्छा|
(3)आप बगैर पलक झपकाए ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ देखे जा रहे हैं लेकिन लड़की अपने पैरों की दस उंगलियों को तो बस समझिए कृपा यही अटकी है|आधा कप चाय से कृपा नहीं होगी| दरअसल ‘लड़की जिस गांव जाना नहीं उस गांव का रास्ता ही क्यों पूछना’ सिद्धांत पर अमलरत है|आप कृपया करके उल्टे पैर निकल ही लें|
(4)आप लड़की से अकेले या दुकेले में बात करना चाह रहे हैं ‘वो लाल दुपट्टे वाली तेरा नाम तो बता’ लेकिन लड़की ‘लाल चुनरिया ओढ़ ली मैंने जबसे पिया के नाम की’ गुनगुनाती कहीं खोई हुई है तो इस रेड सिग्नल को समझिए जनाब|ऐसी हालत में बात आगे बढ़ेगी बोलना मुश्किल है|जितना जल्दी हो सकें आप खतरे से बाहर निकल जाइए,कहीं ओर खतरा मोल लेने हेतु|
(5)फेसबुक पर ताला जड़ित प्रोफाइल की तसल्ली हेतु आप लड़की से उसका मोबाइल नंबर मांगे,मगर वह कहे मोबाइल तो मैं रखती ही नहीं और ये व्हाट्सएप,फेसबुक वगैरह क्या होते हैं पहचानती ही नहीं!तो आप अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट रिमूव ही समझिए|आज कोई यह कहे कि उसकी एक ही किडनी है तो माना जा सकता है लेकिन उसके पास एक भी मोबाइल नंबर नहीं तो विश्वास नहीं होता|
अपने अनुभव जोड़ इस क्रम को आप चाहे तो आगे बढ़ा सकते हैं|बहरहाल,लड़की देखने गए और इस टाइप का पंच पड़ जाए तो पंच परमेश्वर की कसम आप लड़की से ‘क्या-क्या बना लेती हो?’ के बजाय ‘अब तक क्या-क्या बना लिया है?’ बस इतना पूछकर चुपचाप घर आ जाइए भाई साहब|खुदा-न-ख़्वास्ता इसके या उसके कहने पर रिश्ता हो भी गया तो सालों गुजर जाने के बाद भी आप समझ नहीं पाएंगे कि ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’ और फिर कभी,किसी रोज पता है क्या होगा? “नारी भी हाथ से जाएगी और सोलह हाथ सारी भी|”
आप भी जान से चले जाए तो कहा नहीं जा सकता|

रचनाकार-मुकेश राठौर