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ये फिक्रमंद लोग-हास्य व्यंग्य

टॉयलेट सीट पर बैठा व्यक्ति मोबाइल में भक्ति, युद्ध और मोटिवेशनल वीडियो वाले संदेश फॉरवर्ड करते हुए, उसके चारों ओर तैरते मैसेज आइकन, सिर पर चमकता ज्ञान का बल्ब।

ये फिक्रमंद लोग

सुबह सुबह मोबाइल उठा कर जैसे ही वाट्सअप खोलिए, मैसेज की लाइन लगी होती है। जागरूक लोग, क्या कहते हैं, ब्रह्म मुहूर्त में ब्रश करना छोड़, टॉयलेट सीट पर बैठे हुए किसी ग्रुप में कोई विश्व व्यापी समस्या के बारे में पढ़ते हैं, तो उन्हें दिव्य ज्ञान मिलता है की उस समस्या को तत्काल जितने भी लोग हैं सभी को अवगत कराया जाए। चाहे वो महाराष्ट्र में हो रहा भाषा विवाद हो या इजरायल ईरान युद्ध। भले उन्हें अपने शहर में क्या हो रहा है मालूम न हो। जैसे ही वो इन सारी मुश्किलों को सभी ग्रुप और ब्रॉडकास्ट के माध्यम से सभी को फॉरवर्ड कर के फ्लश करते हैं, उन्हें बड़ा सुकून मिलता है। अगर ये ऐसा न करें तो चाय का एक घूंट भी हलक में नहीं उतरता। सारा दिन सर दर्द होता है। कोई कोई सज्जन भक्ति भाव वाले संदेश ऐसे भेजते हैं जैसे इतना कर के वो अपना स्वर्ग की इंट्री पक्की कर रहे हों। तो कोई फूल पत्ती की फोटो भेजकर खुद को पर्यावरण प्रेमी सिद्ध करने की ज़िद पर अड़े होते हैं। वो लोग तो और खतरनाक होते हैं जो फेसबुक या यूट्यूब के वीडियो के लिंक इस उम्मीद से वाट्सअप पर फॉरवर्ड करते हैं की लोग इन्हें देखकर सीखेंगे और अमल करेंगे। चाहे वो मोटिवेशनल स्पीकर के वीडियो हों या न्यूज चैनल के डिबेट। जब से ये सोशल मीडिया आया है तब से ज्ञान बांटने का नया शगल लग गया है लोगों को। पहले कोई पर्चा एक हजार छपा कर बांटो तो लाभ होगा वाला खटराग मोबाइल फोन के आने के बाद से ऐसा बढ़ा है की एक मैसेज चंद मिनटों में हजारों में फ़ोन में पहुंचने लगा है। अब कोई चाहे न चाहे ये सब झेलना मजबूरी है।

जब से कराओके आया और मोबाइल में कराओके के एप आए तब से गायकों की बाढ़ आ गई। ये आए दिन अपने गाए हुए गाने भेज कर उम्मीद करते हैं की आप तारीफ करें। और आप एक बार मत तो करिए! ऐसे ही लेखकों कवियों की नई फसल खड़ी हो गई जिनकी कविताएं, कहानियां वाट्सअप के माध्यम से आपको पढ़ना सिखाने लगी हैं। इसी बहाने से लोग हिंदी सीखने लगे। अगर आप ऐसे लोगों को ब्लॉक करने लगे तो यकीन मानिए आप की कॉन्टेक्ट लिस्ट में उंगलियों पर गिनने लायक नंबर ही बचेंगे। वाट्सअप आज के जीवन में मोबाइल फोन का अनिवार्य हिस्सा हो गया है। अब वाट्सअप है तो ग्रुप भी होंगे। कुछ परिवार के, स्कूल के पुराने मित्रों के, कुछ ऑफिस के तो कुछ समाज के। और अगर आप ज्यादा सोशल हैं तो कुछ इस और कुछ उस संगठन के। यकीन मानिए इनके जो एडमिन होते हैं वो चाहते हैं की लोग अच्छे मैसेज भेजें, काम की बातें करें, केवल जरूरी चर्चा हो लेकिन हम भारत वासी, सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं टाइप के हैं। तो हमारा बनता है हर उस मैसेज को फॉरवर्ड करना जो जन चेतना को बढ़ाए, सब की ज्ञान वृद्धि करे, जागरूक बनाए। वो तो शुक्र है की ऐसी सेटिंग आ गई है की वाट्सअप के फोटो वीडियो मोबाइल में सेव नहीं होते, पहले तो बेचारा फोन हैंग होकर बेजान हो जाता था। फिर सारा मैमोरी डिलीट कर उसे हल्का किया जाता था। लेकिन अब इंसान के दिमाग में जो इन फॉरवर्ड मैसेज के द्वारा भेदभाव, जात पात, का कचरा भरा जा रहा है उसे कैसे डिलीट किया जाए।

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संजय मृदुल #मन_की_भड़ास

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