वक़्त-ए-पीरी ये कैसी मुलाकातें ,
जैसे हों ख़्वाब-ओ-ग़ुज़िश्ता की बातें ।
चढ़ी जवानी में खो गया वो सफ़र,
अब हैं दिल-ए-ख़राब की बातें ।
छेड़ के तान मधुर वो लौट न पाया,
गुज़र गईं हवा में बस बेचैन रातें ।
‘असीमित’ क्यों करे अब गिला यहाँ,
फकत रह गईं बिखरी मुलाक़ातें ।
~डॉ मुकेश असीमित
वक़्त-ए-पीरी वक्त-बुढ़ापे का वक्त
ख़्वाब-ओ-ग़ुज़िश्ता-गुजरा हुआ सपना

— डॉ. मुकेश ‘असीमित’
(लेखक, व्यंग्यकार, चिकित्सक)
निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान
पता -डॉ मुकेश गर्ग
गर्ग हॉस्पिटल ,स्टेशन रोड गंगापुर सिटी राजस्थान पिन कॉड ३२२२०१
पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ
लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, लेख, व्यंग्य और हास्य रचनाएं
प्रकाशित पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” (किताबगंज प्रकाशन से )
काव्य कुम्भ (साझा संकलन ) नीलम पब्लिकेशन से
काव्य ग्रन्थ भाग प्रथम (साझा संकलन ) लायंस पब्लिकेशन से
अंग्रेजी भाषा में-रोजेज एंड थोर्न्स -(एक व्यंग्य संग्रह ) नोशन प्रेस से
–गिरने में क्या हर्ज है -(५१ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह ) भावना प्रकाशन से
प्रकाशनाधीन -व्यंग्य चालीसा (साझा संकलन ) किताबगंज प्रकाशन से
देश विदेश के जाने माने दैनिकी,साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित
सम्मान एवं पुरस्कार -स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन अवार्ड ”
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