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प्रथम क्रांति भारत की (लक्ष्मी बाई )

A powerful painting of Rani Lakshmibai riding a horse with sword raised high, Mangal Pandey leading sepoys in the background, saffron sky, battle smoke, saints and warriors marching, and a divine aura of Goddess Durga behind them, symbolizing the 1857 Indian uprising.

इतिहास कहे सन् सत्तावन का
राष्ट्र भाव का ज्वार उठे
बलिदान दिये देश की खातिर
भाग फिरंगी मुल्क कहे। (1)

प्रथम क्रांति की नींव पड़ी थी
मेरठ के मैदानों से
करवट ले कर देश उठा था
स्वाभिमान जगाने से। (2)

हुंकार उठा था मंगल पांडे
अंग्रेजों को भून दिया
सप्त धान की रोटी लेकर
क्रांति का विस्तार किया । (3)

झांसी वाली रानी बनकर
हर बाला हुंकार उठी
उत्तर से लेकर दक्खन तक
प्रलय ज्वाल सी डोल उठी। (4)

कही तोप चली तलवार चली
सब छावनियां चीत्कार उठी
झांसी की मै, झांसी मेरी है
मनु भारत की शान बनी। (5)

देवी दुर्गा को नमन किया
वीर भेष अपनाया था
गुरुवर से मांगा राष्ट्र मंत्र
काल कपाल सजाया था। (6)

जबतक जीवित रहूँ धरा पर
रक्षक स्वाभिमान रहे
उत्सर्ग करूँ मैं प्राणों का
गुरुवर की मुझको अंक मिले (7)

छू न पाये कोई फिरंगी
धर्म रक्ष वरदान रहे
वचन गुरु के कवच बने
ईश सदा तुम साथ रहे। (8)

छाया संकट जब भारत पर
शस्त्र उठा संत साथ चले
सहस्त्र संन्यासी बैरागी
जय घोष करे, उदघोष करे। (9)

साधु और सेना साथ लड़े
इतिहास बनाया झांसी ने
जब भारत माता कष्ट में हो
अध्यात्म हमेशा अग्र रहे। (10)

सन सतावन की क्रांति का
परिणाम हमारी थाती है
भभक उठी थी चिंगारी
गौरव का भान कराती है। (11)

तिलक सुभाष गांधी पटेल
बिस्मिल को याद रखा हमने
जो अलख मिली थी झांसी से
स्व धरती को पाया हमने । (12)

लक्ष्मी बाई को नमन सदा
स्मृति हमेशा बनी रहे
भारत माँ की बालाओं में
सिरमौर रही, सिरमौर रहे। (13)

आर्य देश की हर नारी
देवी दुर्गा का रुप सजी
शस्त्र शास्त्र है हाथों में
कल्याण स्वरुपा रही निधि। (14)

डॉ राम कुमार जोशी जोशी प्रोल, सरदार पटेल मार्ग बाड़मेर [email protected]
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