लोभ और स्वारथ वश लोग,
रिस्ते नाते तोड लेते हैं,
अंत में परिणाम को पाकर,
पछता भी लेते हैं
मिट्टी का वर्तन,
और परिवार जोडने की कीमत ,
वो ही समझते हैं,
तोडने वाले तो तोडा ही करते हैं ।
लोभ और स्वारथ वश लोग,
रिस्ते नाते तोड लेते हैं,
अंत में परिणाम को पाकर,
पछता भी लेते हैं
मिट्टी का वर्तन,
और परिवार जोडने की कीमत ,
वो ही समझते हैं,
तोडने वाले तो तोडा ही करते हैं ।