अंगूठे का दर्द,अंगुली नहीं जानती
कल रात मोबाइल चलाते हुए अंगूठे में दर्द हुआ।मैने ध्यान दिया कि ये अंगूठा दर्द क्यों कर रहा है,वास्तव
में अंगूठा का मोबाइल में अधिक उपयोग हो रहा है ,इसलिए उसे अटैक जैसा आने लगा है।मैं तो ईश्वर से
कहता हूं कि यदि मोबाइल के साथ ही एक अंगूठा फ्री कर देना चाहिए पर समझ आया कि ऐसा कोई
ऑफर उसके यहां नहीं है ।जैसा भारतीय अर्थ व्यवस्था के रक्षकों को दो लीवर का ऑफर नहीं है ।
मैने देखा कि हाथ का अंगूठा ऐसा क्यों है,आप ये पढ़ते हुए एक बार हाथ के अंगूठे की तरफ देखिए
।इसकी बनावट ऐसी क्यों है ,इसने खुद ऐसा होना स्वीकार किया है ।
अंगूठा इस हथेली परिवार का मुखिया है।इसको मैने मुखिया इसलिए भी कहा है कि ये अंगुलियों से
थोड़ी सी दूरी बनाए रखती है,जैसे अंगुली के घर के मेंबर हों और अंगूठा बाहर के कमरे में रहने वाला
रिटायर्ड पिता जिस से उम्मीद तो सब करते हैं पर उसकी चिंता नहीं।
अंगूठे की जिम्मेदारी बड़ी है,वह अंगुलियों को कोई काम ही नहीं करने देता। अंगुलियों के भी थोड़े थोड़े
काम बांटे गए।पहली अंगुली को अंगूठे को मदद करने का काम दिया, दूसरी को काम दिया कि शादी
की अंगूठी पहनें,तीसरी अंगुली को माला जपने का ।अब चौथी अंगुली को खास काम नहीं था।मनुष्य ने
उसको मूत्र विसर्जन का सिंबल बना दिया।
हथेली परिवार के राशनकार्ड में अंगूठे का नाम सबसे पहले लिखा है।चार अंगुली इसके परिवार को
सदस्य हैं,इसलिए बहुत सारी जिम्मेदारी इसके ऊपर ही है,,जैसे घर का मुखिया बिजली बिल से लेकर
सब्जी लाने का काम उसका होता है। वैसे ही ये है,अंगुली बिना इसके सहारे कुछ कर ही नहीं पाती ।
अंगूठे के हिस्से में पहले सिर्फ अंगुली की मदद करना ही था,अब इस डिजिटल दुनिया में इसके अकेले के
जिम्मे कई काम आ गए है।
जैसे मोबाइल चलाना,मोबाइल में आप कुछ लिखिए,अंगूठा ही टाइप करता है।बाकी अंगुली तो
मोबाइल का सहारा होती है।जैसे किसी बंदे को चार लोग पीछे से पकड़ कर खड़े हों,इधर अंगूठा सामने से
उसमें दे दनादन कर रहा हो।
अंगूठा अनूठा है,,ये साधारण नहीं है,अनपढ़ दुनिया से डिजिटल दुनिया तक इसका महत्व है सौ साल से
स्याही में भरकर अंगूठा का निशान आपके आप ही हो इसका प्रमाण था।
आज भी पढ़लिख कर हम वापिस उसी अंगूठे के भरोसे चल रहे है।एक बार किसी ऐसी जगह जहां
आपकी अंगूठे से पहचान हो रही हो।वहां का कम्यूटर पर बैठा अंदाज कह दे,,फिंगर मैच नहीं हो
रहे,,कलेजा धक हो जाता है,,मतलब आपके आप होने न होने की निर्भरता अंगूठे से ही है।
अब अंगूठा इतना ज्यादा जरूरी हिस्सा हो गया है कि एक बार दिल धड़के या न धड़के , अंगूठा का दर्द
नहीं होना चाहिए।अंगूठा सही सलामत रहना चाहिए।
जब दर्द हो और मोबाइल न चला पाएं तो लगता कि ईश्वर भले ही एक अंगुली कम दे देता पर अंगूठा दो
देता,,।
हथेली देखते हुए ये बात आई कि ईश्वर ने अंगूठे को बड़ी जिम्मेदारी दी है,पर मनुष्य ने उसे सम्मान नहीं
दिया। सोना हीरा जड़ित अंगूठी इतराती पतली अंगूठी को मिलती है,अंगूठा यूं ही देखता रह जाता है।
जैसे घर के सदस्य कोई गलती कर दे ,उसकी माफी मुखिया को मांगना पड़ता है,ऐसा हो जाता है,कि
अंगूठी अंगुली के कब्जे में आ जाती है,और उधारी चुकाने के वक्त सुनार को अंगूठा दिखाया जाता है।
अंगूठा का दर्द ऐसा है कि इतिहास में गुरु शिष्य संबध में कलंक भी उसी के हिस्से में आया है,अंगूठा का
कहना है कि जब बाण तो अंगुली की सहायता के बिना चल ही नहीं सकता फिर मेरा ही बलिदान क्यों,,?
अंगुली कभी इसको नहीं समझेगी कि परिवार के किसी सदस्य पर जब संकट आता है तो मुखिया ही
आगे बढ़कर बलिदान देता है,,
अंगूठे का ये दर्द अंगुली नहीं जानती।
प्रदीप औदिच्य, (गुना ,मध्य प्रदेश)