Login    |    Register
Menu Close

“आलोचना प्रशंसा” हिंदी कविता महादेव प्रेमी

आलोचना प्रशंसा हिंदी कविता

“आलोचना प्रशंसा”
कुण्डली 8 चरण

आलोचना अरु प्रशंसा,एक दूजे विपरीत,
करते सव ही है सदा,यह दुनियां की रीत,

यह दुनियां की रीत,न रीझ प्रशंसा सुनकर,
निंदा कोई करै,कभी नहिं बोल उवल कर,

स्तुती करने वालों, को मौका ना मिलेगा,
निंदा करने चले,उ का सर ज़मीं झुकेगा,

“प्रेमी” जग की रीत,देख मैंने की मन्शा,
रीझो उवलो नांहि ,कि सुन आलोच प्रशंसा।

रचियता -महादेव प्रेमी

Eid Mubarak Bhaijaan-ईद मुबारक भाई जान

Leave a Reply