डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 15, 2025
Darshan Shastra Philosophy
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"जब मनुष्य अपने भीतर के ‘मैं’ से जागता है, तभी उसके बाहर का ‘हम’ जन्म लेता है। आत्मबोध से विश्वबोध की यह यात्रा केवल ध्यान या साधना नहीं, बल्कि समरसता, करुणा और दायित्व का जागरण है — जहाँ व्यक्ति स्वयं से उठकर सम्पूर्ण सृष्टि का अंग बन जाता है।"
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 13, 2025
People
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चार पीढ़ियों को मोहित करने वाली आवाज़ से लेकर राजनीति, रिश्तों और 1984 के आरोपों तक—अमिताभ बच्चन की जर्नी जहां स्टारडम चमकता है और सरोकार सवाल पूछते हैं।
‘जंजीर’ की विजय-गाथा, ‘दीवार–शोले’ का स्वर्णकाल, जया–रेखा एपिसोड, गांधी परिवार से नज़दीकियाँ, ‘कूली’ हादसा और 1984 पर उठे प्रश्न—एक समग्र टाइमलाइन और संदर्भ।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 12, 2025
Health And Hospitals
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On World Arthritis Day, let’s pause to listen to what our joints are trying to tell us. Pain, stiffness, and swelling are not just signs of aging — they’re reminders to care, consult, and keep moving. Awareness today can mean a healthier tomorrow.
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 12, 2025
व्यंग रचनाएं
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"हम उस ज़माने के थे — जब 'फ्री डिलीवरी' मतलब रामदीन काका के बाग़ के अमरूद थे।"
"खेतों की हवा, खाट पर रातें और दादी की चिड़िया-कहानी — हमारी असली मौसम रिपोर्ट।"
"आज के ऐप्स से पहले हमारा 'डेटा' था मिट्टी की नमी और चिड़ियों की चहचहाहट।"
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 11, 2025
व्यंग रचनाएं
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इन दिनों जूते बोल रहे हैं — संसद से लेकर सेमिनार तक, हर मंच पर चप्पलें संवाद कर रही हैं। कभी प्रेमचंद के फटे जूतों में साहित्य की आत्मा बसती थी, अब वही जूते ब्रांडेड आत्म-सम्मान के प्रतीक बन गए हैं। जूता अब महज़ पैर की रक्षा नहीं करता, बल्कि समाज की मानसिक स्थिति का मापदंड बन चुका है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 10, 2025
Fashion,Food and Traveling
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जब श्रीमती जी के हाथ से चाय का दूसरा कप गायब हो और चेहरे पर व्रत का तेज़ नजर आने लगे, समझ जाइए — करवा चौथ है! ऐसे दिन पति का काम सिर्फ दो होता है: हर आधे घंटे में छत पर जाकर चाँद ढूँढना और गलती से भी पड़ोसी के पति को चाँद न समझ लेना। वरना व्रत खुलने से पहले ही जीवन बंद हो जाएगा।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 10, 2025
Fashion,Food and Traveling
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करवा चौथ का व्रत अब प्रेम का नहीं, रिचार्ज का उत्सव बन गया है — पतियों की “लाइफटाइम वैलिडिटी” हर साल नए गिफ्ट और पैक के साथ रिन्यू होती है। बाजार में चाँद और सेल एक साथ उगते हैं, और पत्नियाँ “नारायणी वाहिनी सिंघणी” बनकर पतियों से ईद का चाँद बनने की फरमाइश करती हैं। व्यंग्य की धार में लिपटा यह लेख बताता है कि रिश्तों में प्रेम से ज़्यादा अब प्लान और पैक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 10, 2025
News and Events
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लायंस क्लब सार्थक द्वारा सेवांकुर सेवा सप्ताह के अंतर्गत एम.बी.एम. स्कूल, मिर्ज़ापुर में पीस पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। बच्चों ने “हम सब एक हैं” थीम पर अपनी कल्पनाओं को रंगों में पिरोकर शांति और एकता का संदेश दिया। वैष्णवी अग्रवाल और पायल बैरवा ने क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त किया। यह आयोजन बच्चों की रचनात्मकता और सामाजिक चेतना का उत्सव बन गया।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 10, 2025
News and Events
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László Krasznahorkai, the Hungarian master of long, meditative sentences and existential depth, has been awarded the 2025 Nobel Prize in Literature. His works—filled with flowing intensity, philosophical unease, and haunting imagery—redefine the limits of narrative form. As the world celebrates him, Hindi readers too stand to rediscover the boundless possibilities of literary expression and human introspection through his timeless prose.
डॉ मुकेश 'असीमित'
Oct 10, 2025
व्यंग रचनाएं
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हमारे इलाक़े की मध्यमवर्गीय शादियाँ किसी भूले-बिसरे लोकगीत के रीमिक्स जैसी होती हैं — धुन परंपरा की, बोल नए ज़माने के। रिश्ता तय होने की मीटिंगें “संयोग-वृष्टि” का अखाड़ा बन जाती हैं, जहाँ हर वाक्य में पारिवारिक मेल-जोल की गाथा गूँजती है। “शोभा बनी रहे” के बहुआयामी अर्थों के बीच दहेज की नई परिभाषा ‘आशीर्वाद’ बनकर आती है, और मध्यमवर्गीय शान का पैमाना बनते हैं — पंडाल, ड्रोन, और हेलिकॉप्टर!