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अविश्वसनीय पर सच मस्तिष्क के विलक्षण क्रियाकलाप-लेख-डा एस जी काबरा

इनसे मिलिए। ये स्वयं न्यूरोलोजिस्ट है। न्यूयार्क में प्रेक्टिस। 60 साल की उम्र में मिरगी के दौरे आने लगे। दौरे गंभीर और दिखने में भयभीत करने वाले लेकिन उनको सुखद आश्चर्य  कि वे जीवन में पहली बार  कविता की और आकर्षित हुए। आकर्षण भी ऐसा कि उनका सोच विचार सब गीत और कविता मय होगया। हर वक्त छन्दबंद कविता में सोचना और लिखना। सोचना, भावविहल होना और लिखते रहना। अनेक किताबें लिख डाली, छपी और सराही गई। स्वयं को आत्म संतोष, अपार आनन्द। जब दौरा पड़ता दुखी होते। चिकित्सकीय परीक्षण करवाये। टेम्पोरल लोब में मिरगी के उद्वेलन का केन्द्र था। यहीं से उठती तीव्र तरंगे, भाव मस्तिष्क और मांसपेशी संचालक केन्द्रों पर पहुंचती तो एठन और झटकों से सारा शरीर जकड़ जाता और कुछ समय के लिए बेहोशी जाती। लेकिन दौरों के बीच लम्बा काल कविता मय, आनन्द मय। जीवन के संध्याकाल में उन्हे तो नया आनन्दकारी जीवन मिल गया।

टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी के विचि़त्र और विलक्षण लक्षण होते हैं। इन साहब को जब दौरा पड़ता है तो इनको तीव्र गंध महसूस होती है। ‘‘सड़े हुए जानवर की बदबू रही है। सर भन्ना रहा है। उल्टी रही है।’’ आप पास खड़े हैं कही कोई बदबू नहीं है। हटात् उन्हें कहां से यह बदबू आने लगी। बदबू नहीं है लेकिन उनको महसूस हो रही है क्यों कि मिरगी का उद्वेलन केन्द्र घ्राण केन्द्र के पास है जिसके उत्तेजित होने से बदबू की स्मृति जाग उठती है और उन्हें सचमुच महसूस हाती है। विश्वास नहीं होता पर उनके लिए यह सच है, उन्हें गन्ध सचमुच रही है, मितली रही है।

इन साहब को जब दौरा पड़ता है तो उन्हें आवाजे सुनाई देती है। कैसी आवज रही है, वे बोल कर बताते है। ‘‘मां विलाप कर रही है।’’ आपको वैसी कोई आवाज सुनाई नहीं देती। मां है ही नहीं। लेकिन उन्हें सुनाई दे रही है, विचिलित कर रही है। कारण उनके मिरगी का उद्वेन केन्द्र मस्तिष्क के श्रवण केन्द्र के पास है।

और इनको जब दौरा पड़ता है तो दृश्य दिखाई पड़ते हैं। कभी देखा हुआ दृश्य मानस पटल पर साक्षात हो उठता है। गांव में खड़े है और बता रहे है कि कोलकता की ट्राम से उनका दोस्त उतर रहा है, जिसके हाथ में उनके लिए फूलों का गुलदस्ता है। कारण इनके टेम्पोरल लोब का उद्वेलन केन्द्र दृश्य केन्द्र के पास है।

टेम्पोरल लोब में स्थित हिप्पोकेम्पस और एमग्डेलॉइड के उद्वेलित होने पर तो और भी विलक्षण लक्षण उत्पन्न होते हैं। धार्मिक, आध्यात्मिक, वैचारिक और भावनात्मक उद्वेलन, लेखन। व्यक्तित्व ही बदल जाता है। साधारण व्यक्ति संत, महापुरुष, लेखक और कवि के रूप में रूपान्तरित हो जाता है। आडम्बर या दिखावा नहीं, सही अर्थ में, अपनी पूरी विकसित क्षमता के साथ। कारण हिप्पोकेम्पस और एमेग्डेलॉइड, भाव मस्तिष्क लिम्बिक सिस्टम और वैचारिक मस्तिष्क, प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स से जुड़े होते हैं। उनके उद्वेलन से ऐसा होता है।

टेम्पोरल लोब में दृश्यात्मक, श्रवणात्मक और घ्राणात्मक स्मृतियों का संकलन और उन्हें स्मृति से वापस उजागर कर अनुभूत करने की प्रक्रिया हिप्पोकम्पस एमाइग्डिेला में होती है। भाषाबोली, लिखनेपढने का ज्ञानार्जन यहीं होता है। संवेदनाओं के साथ भावनात्मक लगाव यहीं होता है। बौद्धिक विकास का आधार केन्द्र टेम्पोरल लोब ही है जहां से मिले संवेगों से फ्रंटल लोब में सोच, विचार, चिंतन, मनन, विवेक, अध्यात्म आदि उच्च स्तरीय मानसिक प्रक्रियायें होती है। मिरगी का उद्वेलन केन्द्र हिप्पोकेम्पस में होने पर बौद्धिक, वैचारिक, आध्यात्मिक उद्वेलन होता है; व्यक्ति आघ्यात्मलीन, धर्मपरायण, अति धार्मिक  हो जाता है। उत्कर्ष आध्यात्मिक विचार, दिव्यदर्शन, धर्माचरण, धर्मनिष्ट। लिखता है तो लिखता ही चला जाता है, परिस्कृत विचारों के अनुरूप उत्कर्ष लेखन, सतसंग प्रवीण। टेम्पोरल लोब मिरगी के इस मानसिक लक्षण समूह को गेसविन्ड सिन्ड्रोम के नाम से पहचाना जाता है।

इनसे मिलिए

ये साहब डॉक्टर से मिलने आये हैं। सलीके से पहने हुए कपड़े, गले में सोने की चैन से लटका काफी बडा हिरे जड़ा क्रॉस, चमकती आंखें, आत्मविश्वासी अंदाज, सामने कुर्सी में बैठे डाक्टर को बताते हैं कि दिव्य दर्शन के बाद कैसे उन्हे आध्यात्मिक ज्ञान हुआ और संसार का गूढ रहस्य समझ में आया। अब उन्हें सर्वत्र ईश्वर नजर आते हैं, उनकी कृपा, उनका आशीर्वाद प्राप्त है। जग आलोकित है, उनकी आत्मा की लौ दिव्य लौ में समा गई है, प्रकाश पुंज का हिस्सा बन गई है। दिव्य वाणी सतत सुनाई देती है। डाक्टर उनकी केस फाइल देखते है। उन्हें किशोर अवस्था से मीडियल टेम्पोरल लोब एपीलेप्सी के दौरे पड़ते हैं। आध्यात्मिक धार्मिक उद्वेलन भी तभी से शुरू हुआ है। तो क्या उनका आध्यात्मिक ज्ञान, उनका धार्मिक उत्थान मिरगी के दौरे हैं? या उनके उत्कृष्ट आध्यात्मिक चिंतन के वशीभूत कुछ लक्षण डाक्टरों को मिरगी के दौरे का भ्रम देते है? यह मिरगी के कारण ही यह इस बात से सिद्ध होता है कि जब जब भी उद्वेलन तेज होने पर टेम्पोरल लोब के बाहर पूरे मस्तिष्क में फैलता है वे संज्ञासून्य हो जाते हैं, हाथ पांव ऐंठते हैं और झटके लगते हैं।

टेम्पोरल लोब के सिंपल पार्शियल सीजर्स आंशिक दौरेसाधारण आंशिक दौरे अपने प्रभाव में बड़े विलक्षण होते हैं। टेम्पोरल लोब में सामने की ओर घ्राण केन्द्र, बाहर की ओर श्रवण केन्द्र और पीछे की ओर दृष्टि केन्द्र स्थित होते हैं, अतः मिरगी उद्वेवलन का केन्द्र (फोकस) इनमें से जिस संवेदन केन्द्र में होगा लक्षण उसी संवेदन के होंगे। घ्राण केन्द्र में होने पर व्यक्ति को बदबू या खुशबू महसूस होगी; यह मात्र आभास होगा यथार्थ नहींभ्रमाक आभास, विभ्रम, हेल्यूसिनेशन। श्रवण केन्द्र स्थित उद्वेलन से आवाज और बोलियां सुनाई देंगी और दृष्टि संवेगों के उद्वेलन पर दृश्य दिखेगे।  ये दृश्य संचित स्मृति के पुराने दृश्य होते हैं लेकिन व्यक्ति को महसूस होता है जैसे वह उसे वर्तमान में देख रहा है, मन की आंख से। आपके लिए भ्रम रोगी के लिए अनुभूत सच।

डॉ. श्रीगोपाल काबरा

15, विजय नगर, डीब्लॉक, मालवीय नगर, जयपुर302017     माबाइलः 8003516198

1 Comment

  1. Dr. Garima Jain

    Wonderfully explained about the unfamiliar presentation of Temporal lobe epilepsy. A worth reading stuff for everyone.

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