पूँजीवाद की टंकी से फ्लश करता बाजार डॉ मुकेश 'असीमित' November 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments पूँजीवाद आज हमारे जीवन का रिमोट कंट्रोल बन चुका है। वह तय करता है कि हमें क्या खरीदना है, क्या छोड़ना है और किस चीज़… Spread the love
मेरा कमरा मेरा सलाहकार Vivek Ranjan Shreevastav November 19, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments कमरे में घुसते ही लगा जैसे पूरा देश भीतर उतर आया हो। छत ऊँचा सोचने का उपदेश दे रही थी, पंखा शोर मचाते हुए ठंडा… Spread the love
भगवान परीक्षा ले रहा है-हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' November 17, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments भगवान के पास और कोई काम नहीं? हर परेशानी पर लोग इतना ही कहते हैं—धैर्य रखो, भगवान परीक्षा ले रहे हैं…मानो ऊपर कोई परीक्षा बोर्ड… Spread the love
थानेदार का वादा-हास्य व्यंग्य रचना Ram Kumar Joshi November 12, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments “When the bottle climbs, memories fall — and so do official scruples.” “’Promise,’ said the Thanedaar — and the ledger smiled back with five hundred… Spread the love
ट्रकों का दर्शनशास्त्र: सड़क का पहलवान और प्रेम का दार्शनिक डॉ मुकेश 'असीमित' November 12, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “The truck isn’t just metal — it’s a moving philosophy, painted with poetry and powered by diesel.” “Between the roar of the engine and the… Spread the love
कूटन संस्कार-भारत का प्राचीनतम संस्कार डॉ मुकेश 'असीमित' November 12, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments “In our country, traditions seep into your blood — and sometimes into your backside.” “Before the sacred thread, there is the slipper: a father’s unofficial… Spread the love
वोट का हाट बाजार-हास्य व्यंग्य रचना Pradeep Audichya November 10, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments भरोसीलाल ने चाय के डिस्पोज़ल कप को देखते हुए कहा — “ये चाय है चुनाव और कप है जनता, चुनाव खत्म तो जनता कचरे में!”… Spread the love
मुद्दों की चुहिया – पिंजरे से संसद तक डॉ मुकेश 'असीमित' November 10, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments मुद्दा कोई साधारण प्राणी नहीं — यह राजनीति की चुहिया है, जिसे वक्त आने पर पिंजरे से निकालकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है। झूठे… Spread the love
कंजूस मक्खीचूस-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' November 10, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments कंजूस लोग धन को संग्रह करते हैं, उपभोग नहीं। मगर यह भी कहना होगा कि ये लुटेरों और सूदखोरों से फिर भी भले हैं—क्योंकि कम… Spread the love
चढ़ावा-प्लाज़ा: जहाँ देवता भी टोल टैक्स लेते हैं डॉ मुकेश 'असीमित' November 5, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments सड़कों पर “देवता-तोल” का नया युग — जहाँ खतरनाक मोड़ और पुल नहीं, बल्कि चढ़ावे की रसीदें आपकी जान बचाती (या बिगाड़ती) हैं। सरकार टेंडर… Spread the love