आराम करो –आराम में ही राम बसा है-हास्य-व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' August 22, 2025 हास्य रचनाएं 3 Comments भागम-भाग की ज़िंदगी का असली गणित है—भाग को भाग दो, और उत्तर आएगा ‘आराम’। खाट पर लेटना, कम्बल में दुनिया की फिक्र लपेटना ही असली… Spread the love
अफ़सर अवकाश पर है-हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments सरकारी दफ़्तरों की असलियत पर यह व्यंग्य कटाक्ष करता है—जहाँ अफ़सर तनख़्वाह तो छुट्टियों की लेते हैं, पर काम के नाम पर बहानेबाज़ी ही उनका… Spread the love
ट्रेडमिल : घर आया मेहमान-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 11, 2025 हास्य रचनाएं 4 Comments ट्रेडमिल बड़े जोश से घर आया, पर महीने भर में कपड़े सुखाने का स्टैंड बन गया। जैकेट, साड़ियाँ, खिलौने सब उस पर लटकने लगे। वज़न… Spread the love
किराएदार की व्यथा: एक हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments इस रचना में किराएदार की ज़िंदगी की उन अनकही व्यथाओं को हास्य और व्यंग्य के लहज़े में उजागर किया गया है, जिन्हें हम सभी कभी… Spread the love