“डॉक्टर साहब, आपकी पढ़ाई अपनी जगह… हम तो इसे ‘नस जाना’ ही मानेंगे!” ग्रामीण चिकित्सा संवादों में हर लक्षण का एक लोकनाम है — ‘चक…
“गालियों का बाज़ार” नामक उस लोकतांत्रिक तमाशे का प्रतीक है जहाँ भाषाई स्वतंत्रता के नाम पर अपशब्दों की होड़ है। हर कोई वक्ता है, हर…
पुरस्कारों की चमक साहित्यकारों को अक्सर पितृसत्ता की टोपी पहना देती है। ये ‘गुप्त रोग’ बनकर छिपाया भी जाता है और पाया भी जाता है,…
एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक…
Roses and Thorns – a satire bouquet straight from the OT (Operation Theatre) of an orthopedic doctor turned wordsmith. No enlightenment. No “6-pack abs” philosophy.…
यह वर्ष अपने अंतिम पायदान पर है, और हम सब एक नई छलांग लगाने की तैयारी में हैं। कल एक नया सवेरा, नया साल, और……
आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर विध्नहर्ता गणेश जी की स्तुति तो सभी करते ही हैं,उनके वाहन मूषकराज की भी स्तुति अत्यावश्यक है ! एक……
भारतीय आम आदमी की दुनिया एक ऐसी मस्तखोर रंगीन मिजाजी दुनिया है, जहां हर काम में मस्ती और मौज का तड़का लगना अनिवार्य है। हैप्पीनेस……
आजकल सोशल मीडिया पर रिजल्टों की मार्कशीटों की बरसात हो रही है, हर बच्चे के नब्बे प्रतिशत से कम अंक नहीं दिख रहे । माना……
किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने……