हम, हमारा बचपन और सरकारी स्कूल डॉ मुकेश 'असीमित' July 27, 2025 संस्मरण 7 Comments सरकारी स्कूल की ये कहानी सिर्फ दीवारों के गिरने की नहीं, एक पूरी पीढ़ी के सपनों की टूट-फूट की दास्तान है। मिट्टी भरे मैदानों, पाटोरनुमा… Spread the love
“कारगिल विजय दिवस 2025 – नई पीढ़ी के लिए शौर्यगाथा का संदेश” Poonam Chaturvedi July 26, 2025 समसामयिकी 0 Comments “अगर आप चाहें, तो इतिहास रच सकते हैं; लेकिन अगर आप चाहें कि पीढ़ियाँ उसे याद रखें, तो उसे अपने लहू से लिखना होगा।” कारगिल… Spread the love
सिस्टम, सिस्टमैटिकली बच निकला है —व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 26, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments एक और सरकारी छत गिरी, मासूम मरे, सिस्टम फिर बच निकला — जैसे संविधान में इसके लिए छूट हो। सरकार की संवेदना ट्विटर और प्रेस… Spread the love
“उपराष्ट्रपति का इस्तीफ़ा – लोकतंत्र की चुप्पी में एक तेज़ दस्तक” Poonam Chaturvedi July 24, 2025 समसामयिकी 0 Comments उपराष्ट्रपति का इस्तीफा सिर्फ एक पद त्याग नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के संतुलन में आए गहरे असंतोष का संकेत है। यह घटना नीतिगत असहमति, राजनीतिक… Spread the love
जल संकट : टिकाऊ प्रबंधन की अनिवार्यता Dr Shailesh Shukla July 24, 2025 समसामयिकी 1 Comment भारत में जल संकट गहराता जा रहा है। 18% जनसंख्या के बावजूद भारत के पास मात्र 4% जल संसाधन हैं। जलवायु परिवर्तन, अति-दोहन और नीतिगत… Spread the love
भारत में सहकारिता का सशक्तिकरण और 2025 अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष Poonam Chaturvedi July 23, 2025 समसामयिकी 0 Comments संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किया जाना भारत के सहकारी आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। “सहकार से समृद्धि” की… Spread the love
हरियाली और विकास : क्या दोनों एक साथ संभव हैं?-समसामयिक लेख Poonam Chaturvedi July 21, 2025 समसामयिकी 0 Comments भारत में हरियाली और विकास की बहस पुरानी है। अक्सर आर्थिक तरक्की के नाम पर पर्यावरण की अनदेखी होती रही है। पर यह टकराव अनिवार्य… Spread the love
कामयाबी के पदचिन्ह-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments हर कोई अपने पदचिन्ह छोड़ जाना चाहता है, लेकिन अब ये निशान कदमों से नहीं, जूतों से पहचाने जाते हैं। महापुरुषों के घिसे जूतों में… Spread the love
खुदा ही खुदा है-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 20, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments गड्डापुर शहर में विकास की परिभाषा गड्ढों से तय होती है। यहाँ खुदाई केवल निर्माण कार्य नहीं, आस्था, राजनीति और प्रशासन की साझा विरासत है।… Spread the love
स्मृतियों की छाँव में माँ-संस्मरण डॉ मुकेश 'असीमित' July 19, 2025 संस्मरण 1 Comment ChatGPT said: “स्मृतियों की छाँव में माँ” एक फेसबुक पोस्ट ने माँ की ममता से भरे बचपन की स्मृतियाँ फिर से जगा दीं। वो सुबह-सुबह… Spread the love