कंजूस मक्खीचूस-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' November 10, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments कंजूस लोग धन को संग्रह करते हैं, उपभोग नहीं। मगर यह भी कहना होगा कि ये लुटेरों और सूदखोरों से फिर भी भले हैं—क्योंकि कम… Spread the love
चढ़ावा-प्लाज़ा: जहाँ देवता भी टोल टैक्स लेते हैं डॉ मुकेश 'असीमित' November 5, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments सड़कों पर “देवता-तोल” का नया युग — जहाँ खतरनाक मोड़ और पुल नहीं, बल्कि चढ़ावे की रसीदें आपकी जान बचाती (या बिगाड़ती) हैं। सरकार टेंडर… Spread the love
हादसों का इन्तजार है Ram Kumar Joshi November 5, 2025 समसामयिकी 0 Comments देशभर में बढ़ते सड़क हादसे अब सिर्फ समाचार नहीं, बल्कि हमारी संवेदनहीन व्यवस्था का आईना हैं। जहाँ नियम पालन करने वाले मरते हैं, और व्यवस्था… Spread the love
देवलोक का अमृतकाल बनाम मृत्युलोक का पतनकाल डॉ मुकेश 'असीमित' November 4, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments देवराज इंद्र की सभा के बीच अचानक नारद मुनि माइक्रोफोन लेकर प्रकट होते हैं और देवताओं को बताते हैं कि अब असली अमृतकाल मृत्युलोक में… Spread the love
विरासत बनाम विपणन — परिमाण में वृद्धि, गुणवत्ता में गिरावट डॉ मुकेश 'असीमित' November 4, 2025 आलोचना ,समीक्षा 0 Comments “साहित्य के बाजार में आज सबसे सस्ता माल है ‘महानता’। पहले पहचान विचारों से होती थी, अब फॉलोअर्स और लॉन्च-इवेंट से होती है। व्यंग्य अब… Spread the love
भय मुक्त भ्रष्टाचार-हास्य व्यंग्य Ram Kumar Joshi November 3, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment “He dangled his legs on a high hanger and cursed everyone — from the central government to the department engineer.” “The British-era bridges stand a… Spread the love
भारत की बेटियाँ: एक राग, एक विजय — Women’s ICC Champions डॉ मुकेश 'असीमित' November 3, 2025 समसामयिकी 0 Comments “कप्तानों से बढ़कर, यह जीत उन सपनों की है जो साथ दौड़ते हैं—एक राग, एक भारत।” “जब विविध सुर मिलते हैं, जीत का आलाप अपने… Spread the love
कालिदास: इतिहास और आख्यान के बीच डॉ मुकेश 'असीमित' November 3, 2025 शोध लेख 0 Comments “If there is any beauty in my speech, it is not mine — it is the gift of tradition and divine grace.” “Kalidasa’s journey is… Spread the love
रिस्क और रिश्वत-हास्य व्यंग्य Ram Kumar Joshi November 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “Rishvat is based on risk” — this new law of modern Indian economics explains it all. Whenever risk rises, the bribe amount inflates proportionally. From… Spread the love
गरमा-गरम फुल्के की तलाश डॉ मुकेश 'असीमित' October 30, 2025 लघु कथा 0 Comments मध्यमवर्गीय घरों में शादी अब दहेज या कुंडली से नहीं, फुल्का-कला से तय होती है। बब्बन चाचा का सपना था — एक ऐसी बहू जो… Spread the love