“वर्चुअल पूजा वाली बहुएं”-हास्य-व्यंग्य

Vivek Ranjan Shreevastav Jul 1, 2025 Blogs 0

आधुनिक भारतीय परिवारों में उभरती वर्चुअल पूजा की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ सास और बहू तकनीक के माध्यम से पूजा में जुड़ी हैं — एक संस्कृति और टेक्नोलॉजी का मिलन।

हैप्पी डॉक्टर्स डे – व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 30, 2025 Blogs 0

डॉक्टर्स डे के दिन एक पत्रकार ‘VIP एंट्री’ की जिद पर अड़ा था। डॉक्टर की शोकेस डिग्रियों से भरी थी लेकिन वह ‘चंदा देकर सम्मानित’ होने को भी तैयार था। अंततः 'गलत इंजेक्शन' वाले रिसर्च का नाम सुनते ही पत्रकार डर से भाग गया। कटाक्ष और हँसी का जबरदस्त मिश्रण।

बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य

Pradeep Audichya Jun 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0

बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों की मांग कर रहे हैं – आरक्षण, रॉयल्टी, बिजली के खंभे, होटल प्रवेश और एक "झींगुर अत्याचार निवारण आयोग" की स्थापना!

जब आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान

Mukesh Rathor Jun 30, 2025 Blogs 0

रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी सामाजिक परीक्षा है, जिसमें चाय, मुस्कान और मूक संवादों के बीच कई बार ऐसा पंच पड़ता है कि रिश्ता बनने के पहले ही बिखर जाता है।

पानी है… मजा है! कहानी -बात अपने देश की

Wasim Alam Jun 29, 2025 कहानी 4

पटना से गाँव लौटते वक्त एक छोटे स्टेशन पर मिला वह नन्हा पानी बेचता लड़का — थकी हुई आँखें, टूटी चप्पलें और एक मासूम हँसी। उसकी बोतल में पानी था, पर आँखों में प्यास। वह हँसी आज भी याद है, जिसने सिखाया कि इंसानियत भी प्यास बुझाती है।

पंचायत सीज़न 4: फुलेरा की मिट्टी में राजनीति की महक!

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 28, 2025 Cinema Review 1

पंचायत सीज़न 4 फुलेरा की उसी मिट्टी से शुरू होता है, जिसमें पहले हँसी और सादगी उगती थी — लेकिन इस बार राजनीति की परतें ज़्यादा गाढ़ी हैं। सचिव जी की सीएटी में सफलता, रिंकी का प्रेम प्रस्ताव, और प्रधान जी की हार – सब मिलकर इसे इमोशन, ड्रामा और स्थानीय राजनीति का दिलचस्प मिश्रण बनाते हैं। कहानी में थोड़ी खिंचावट ज़रूर है, लेकिन अंतिम दो एपिसोड्स में जो भावनात्मक टर्न है, वो पूरी सीरीज़ को देखने लायक बना देता है। “गाँव वही है, कहानी गहरी हो गई है।”

साक्षात्कार – पति पत्नी में अहम नहीं बल्कि मित्रता जरूरी

Babita Kumawat Jun 28, 2025 Blogs 3

अकांक्षा और राकेश जी ने साझा किया कि वैवाहिक जीवन में अहम नहीं, मित्रता होनी चाहिए। संवाद, माफ़ी और साथ बिताया गया समय ही एक रिश्ते को आदर्श बनाता है। जहाँ दोस्ती होती है, वहाँ टकराव की जगह समझदारी होती है — और यही 'आइडल कपल' की असली पहचान है।

संविधान सभा में हिंदी पर हुई बहसें और उनके विविध परिणाम

Dr Shailesh Shukla Jun 28, 2025 Blogs 0

यह लेख भारतीय संविधान सभा में राष्ट्रभाषा पर हुए विमर्श की जटिलता को रूपायित करती है — जहाँ हिंदी को एकता का प्रतीक मानने वालों और भाषाई विविधता के पक्षधर विचारों में संघर्ष स्पष्ट है। यह भाषाई नीति, पहचान और संवैधानिक समझ का प्रतीकात्मक चित्रण है।

कैपविहीन कलम का करुण क्रंदन

डॉ मुकेश 'असीमित' Jun 27, 2025 Blogs 7

डॉक्टर साहब की जिंदगी पेन की कैप पर अटक गई है। कभी स्टाफ फेंक देता है, कभी चूहा चुरा लेता है! कैपविहीन पेन की स्याही उनकी जेब पर हमला बोल देती है। यह मज़ेदार व्यंग्य बताता है — असली ताक़त अब कैप में है, पेन में नहीं!

अड़े रहो सखियों— ये जिंदगी तो ना मिलेगी दोबारा—

Sushma Vyas Jun 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0

श्रीमती बिंदिया ढहया लेखिका बनने के बाद अब "एडमिन" बनने पर अड़ी हैं — फेसबुक पेज, लाइव कार्यक्रम, महिला मंच... सब कुछ चाहिए उन्हें! बेटा और पति परेशान, पर बिंदिया जी का आत्मबल चट्टान-सा अडिग। जैसे पड़ोसी देश अड़ते हैं, वैसे ही बिंदिया जी भी साहित्यिक क्रांति में जुटी हैं। उन्हें न आलोचना से फर्क पड़ता है, न गॉसिप से। अब वे महिलाओं को खुद की पहचान बनाने की प्रेरणा दे रही हैं — क्योंकि आज का नारा है: अड़ी रहो सखियों, क्योंकि ये ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा।