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Category: Blogs

एक व्यंग्यात्मक कार्टून जिसमें एक महिला, जो हिंदी भाषा का प्रतिनिधित्व कर रही है, एक ब्यूटी पार्लर की कुर्सी पर बैठी है। एक मेकअप आर्टिस्ट, जो नौकरशाही को दर्शाता है, एक बड़े पेंट रोलर से उसके चेहरे पर भारी मात्रा में मेकअप लगा रहा है, जिससे उसकी प्राकृतिक सुंदरता छिप गई है और वह असहज महसूस कर रही है।

हिंदी का ब्यूटी पार्लर

हिंदी भाषा को सरकारी दफ़्तरों और आयोगों में किस तरह से बोझिल और जटिल बनाया गया है, जिससे वह अपनी सहजता और सुंदरता खो रही…

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WhatsApp के ग्यानी और बहस का जाल

WhatsApp के ग्यानी और बहस का जाल कभी-कभी लगता है कि किसी “व्हाट्सऐप फॉरवर्डीये ज्ञानी” से बहस करना ऐसा है जैसे पानी में रेत की…

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"हास्य-व्यंग्यात्मक कार्टून जिसमें मोबाइल पर लगातार काम करते हुए दर्द से परेशान अंगूठा बैंडेज बांधे दिखाया गया है, जबकि बाकी उंगलियाँ आराम से बैठी हैं। अंगूठा थकान और जिम्मेदारी से कराहता हुआ घर के मुखिया की तरह दिख रहा है।"

अंगूठे का दर्द,अंगुली नहीं जानती

“अंगूठा डिजिटल युग का असली मुखिया है—स्याही वाले निशान से पहचान तक और मोबाइल की स्क्रीन पर टाइपिंग तक। लेकिन दुख यह है कि अंगूठे…

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“दो पड़ोसी परिवार सड़क पर नाली के कचरे को लेकर झगड़ रहे हैं, एक महिला रंग देखकर अपनी सफाई दे रही है, दूसरा परिवार गुस्से में तर्क दे रहा है, आसपास लोग हँसते-देखते खड़े हैं, और पृष्ठभूमि में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का बोर्ड लगा है।”

कचरा गाथा: नाली के सम्राटों की जंग!

सुबह की ताज़ी हवा और गालियों की महक—यही हमारी कॉलोनी का ‘नियम’ है। इस बार झगड़े की वजह बनी नाली में बहाया गया कचरा। एक…

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कोहरे में खिलते फूल-book review

कोहरे में खिलते फूल गृहस्थ-जीवन का ताना-बाना सुदृढ़ बुनावट के लिए रिश्तों के तंतुओं को संबंधों के आत्मीय आयाम हेतु कैसे उपयुक्त रंग एवं आकार…

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बड़े कोल्हू का कार्टून—बीच में जोते हुए पट्टी बांधे बैल, ऊपर आराम करते नेता-आफिसर तेल की बोतलें पकड़ कर हँस रहे हैं; पृष्ठभूमि में रैलियों के लाउडस्पीकर और घंटी बजती दिखती है।

कोल्हू का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना

यह लोकतंत्र दरअसल एक कोल्हू है जिसमें बैल बनकर हम आमजन जोते जा रहे हैं। मालिक—नेता और अफसर—आराम से ऊँची कुर्सियों पर बैठकर तेल चूस…

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“लाइन-चित्र में एक व्यंग्यात्मक दृश्य: उधार लौटाने से बचता दोस्त, दूसरे दोस्त के हाथ में मिठाई का डिब्बा और कर्ज़ की फाइल, पृष्ठभूमि में गुड मॉर्निंग मैसेज और भागते दोस्त।”

दोस्ती और उधार-हास्य व्यंग्य रचना

दोस्ती अमृत है, मगर उधार की चिपचिपाहट इसे छाछ बना देती है। वही दोस्त जो आपकी माँ का हाल पूछता था, अचानक आपकी क्रेडिट कार्ड…

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“व्यंग्य चित्र: मंच पर लेखक को ओढ़ाई जा रही शॉल, पास में सोहन पापड़ी और श्रीफल। आयोजक कैमरे से फोटो खींचते हुए, पीछे शॉल का ‘Recycle Zone’। यह दृश्य साहित्यिक आयोजनों में शॉल और सोहन पापड़ी की अंतहीन यात्रा पर कटाक्ष करता है।”

लेखक, शॉल और सोहन पापड़ी-व्यंग्य रचना

लेखक और शॉल का रिश्ता उतना ही अटूट है जितना संसद और हंगामे का। शॉल ओढ़े बिना लेखक अधूरा, और सोहन पापड़ी के डिब्बे के…

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मिनिमलिस्ट पोस्टर जिसमें दीये की लौ से बनता हुआ देवनागरी अक्षर “ह” है; लौ से निकली पतली सर्किट-लाइने एक छोटे ग्लोब को घेर रही हैं—हिंदी, तकनीक और विश्व सेतु का संकेत।

हिंदी हैं हम हिंदोस्ता हमारा

हिंदी दिवस कोई स्मृति-लेन नहीं, आत्मगौरव का वार्षिक एमओयू है—जिसमें हम तय करें कि अदालत, विज्ञान, स्टार्टअप और दफ्तर की फाइल तक हिंदी का सलीका…

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Illustration of a banyan tree symbolizing Hindi’s role in culture, justice, education, media, and trade, with roots in Sanskrit and branches connecting other Indian languages, set in a digital era background.

राजभाषा, ज्ञान-व्यवस्था और डिजिटल युग में हिंदी की आगे की राह

हिंदी का भविष्य केवल भावनाओं से तय नहीं होगा, बल्कि छह खानों में इसकी ताक़त और चुनौतियाँ दिखती हैं—संस्कृति, व्यापार, न्याय, शिक्षा, मीडिया और सद्भाव।…

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