कामयाबी के पदचिन्ह-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments हर कोई अपने पदचिन्ह छोड़ जाना चाहता है, लेकिन अब ये निशान कदमों से नहीं, जूतों से पहचाने जाते हैं। महापुरुषों के घिसे जूतों में… Spread the love
खुदा ही खुदा है-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 20, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments गड्डापुर शहर में विकास की परिभाषा गड्ढों से तय होती है। यहाँ खुदाई केवल निर्माण कार्य नहीं, आस्था, राजनीति और प्रशासन की साझा विरासत है।… Spread the love
स्मृतियों की छाँव में माँ-संस्मरण डॉ मुकेश 'असीमित' July 19, 2025 संस्मरण 1 Comment ChatGPT said: “स्मृतियों की छाँव में माँ” एक फेसबुक पोस्ट ने माँ की ममता से भरे बचपन की स्मृतियाँ फिर से जगा दीं। वो सुबह-सुबह… Spread the love
आश्वासन की खेती-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 18, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments लोकतंत्र आश्वासनों पर टिका है, जहाँ हर पार्टी का घोषणा-पत्र वादों का कठपुतली शो होता है। जनता वोट रूपी टिकट से यह खेल देखती है,… Spread the love
The Bachelor Son, the Miserable Father डॉ मुकेश 'असीमित' July 17, 2025 Satire 0 Comments In this satirical slice of clinic life, a doctor recounts the visit of an old acquaintance who barges in unannounced—not for treatment, but for tea,… Spread the love
किराएदार की व्यथा: एक हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments इस रचना में किराएदार की ज़िंदगी की उन अनकही व्यथाओं को हास्य और व्यंग्य के लहज़े में उजागर किया गया है, जिन्हें हम सभी कभी… Spread the love
क्रौंच पक्षी और वाल्मीकि: संवेदना से जन्मा साहित्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हिंदी लेख 2 Comments महर्षि वाल्मीकि और क्रौंच पक्षी का ऐतिहासिक प्रसंग संस्कृत साहित्य में भावनात्मक संवेदना का महत्व कालिदास की काव्य कृतियों का मूल्य और समकालीन साहित्य साहित्य… Spread the love
बाढ़ में डूबकर भी कैसे तरें-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 15, 2025 व्यंग रचनाएं 6 Comments बाढ़ आई नहीं कि सरकारी महकमें ‘आपदा प्रबंधन’ में ऐसे सक्रिय हो गए जैसे ‘मनौती’ पूरी हो गई हो। नदी उफनी नहीं कि पोस्टर लग… Spread the love
जीवन पर प्रकाश डालिए-हास्य व्यंग्य रचना Pradeep Audichya July 14, 2025 व्यंग रचनाएं 4 Comments सेठजी को अब ‘सेठ’ होने से संतोष नहीं, उन्हें ‘समाजसेवी’ भी बनना है—वो भी बिना समाज की सेवा किए! अखबार, होर्डिंग, माला और माइक की… Spread the love
कालीधर लापता — एक आधी-अधूरी भावुकता की खोज-फ़िल्म समीक्षा डॉ मुकेश 'असीमित' July 14, 2025 Cinema Review 2 Comments कालीधर लापता में कुंभ मेला बनारस के घाटों तक सिमट गया, अल्ज़ाइमर से पीड़ित किरदार अंग्रेज़ी बोलने लगा, और एक मासूम बच्चा शराब का इंतज़ाम… Spread the love