बेग़म अख़्तर : सुरों की मलिका

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 29, 2025 India Story 0

बेग़म अख़्तर—एक नाम जो सिर्फ़ संगीत नहीं, दर्द, रूह और नफ़ासत का दूसरा नाम है। फैज़ाबाद की एक हवेली से शुरू होकर लखनऊ की महफ़िलों तक पहुँची यह आवाज़ किसी उस्ताद की देन नहीं, बल्कि टूटे हुए बचपन और संघर्षों से पैदा हुई कशिश का चमत्कार थी। ठुमरी, दादरा और ग़ज़ल को उन्होंने ऐसी आत्मा दी कि वे सिर्फ़ गाने न रहकर अनुभव बन गए। शादी के बाद संगीत छिन गया तो depression घेर लिया, पर जब उन्होंने फिर गाना शुरू किया—वे बेग़म अख़्तर बन गईं। उनकी ग़ज़लें आज भी वही हलचल जगाती हैं—जैसे कोई भूली हुई याद अचानक सांस ले उठे।

सत्यजीत रे: वह आदमी जिसने सिनेमा की आँखों में आत्मा भर दी

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 29, 2025 Cinema Review 0

सत्यजीत रे केवल निर्देशक नहीं थे—एक दर्शन, एक दृष्टि, एक शांत चमत्कार। उनकी फिल्मों ने सिनेमा को कहानी से मनुष्य बना दिया और दुनिया को नया देखने की कला सिखाई।

धर्मेंद्र: वह आख़िरी देहाती शहंशाह, जो परदे पर नहीं—दिलों में बसता था

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 26, 2025 People 0

“धर्मेंद्र सिर्फ परदे के हीरो नहीं थे—वे देहात की माटी, रोमांस की रूह और इंसानियत की नरम धूप थे। खेतों की खुशबू, फिल्मों की चमक और सादगी की छाया में बसा यह शख़्स एक ऐसा सितारा था जो हर दिल में जिंदा रहेगा।”

धरम पाजी-फ़िर नहीं आएँगे ऐसे “ही-मैन

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 25, 2025 Cinema Review 0

धर्मेंद्र सिर्फ़ परदे के हीरो नहीं थे—वे देहाती मासूमियत, पंजाबी दिलेरी और रोमांटिक चमक का चलता-फिरता रूपक थे। वीरू की टंकी, खेतों की पगडंडियाँ, शोले की गूंज और फ़िल्मी किस्से—सब आज उनकी स्मृति बनकर रह गए हैं। पर कलाकार कभी नहीं मरते, धर्मेंद्र भी नहीं। वे हर मुस्कान में लौट आएँगे।

लौहपुरुष सरदार पटेल : जिसने बिखरे भारत को एक सूत्र में बाँधा

डॉ मुकेश 'असीमित' Nov 1, 2025 People 0

On Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti, the nation remembers the “Iron Man of India” — a leader who transformed 565 fragmented princely states into one united Bharat. From his early days as a lawyer to his monumental role as India’s first Home Minister, Patel’s courage, foresight, and diplomacy built the foundation of modern India.

विवेकानंद और आधुनिक प्रायोगिक वेदान्त की प्रासंगिकता

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 21, 2025 People 0

स्वामी विवेकानंद ने वेदान्त को ग्रंथों से निकालकर जीवन के प्रत्येक कर्म में उतारा — उन्होंने कहा, “यदि वेदान्त सत्य है, तो उसे प्रयोग में लाओ।” उनका “प्रायोगिक वेदान्त” हमें सिखाता है कि पूजा केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि मनुष्य की सेवा में है; ध्यान केवल मौन में नहीं, बल्कि कर्म और करुणा में है। आज जब समाज भेदभाव, स्वार्थ और मानसिक असुरक्षा से जूझ रहा है, तब विवेकानंद का यह संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है — “हर आत्मा संभावित रूप से दिव्य है; उस दिव्यता को प्रकट करना ही जीवन का लक्ष्य है।”

अमिताभ: स्टारडम से सरोकार तक — एंग्री यंग मैन की जर्नी, रिश्ते और विवाद

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 13, 2025 People 1

चार पीढ़ियों को मोहित करने वाली आवाज़ से लेकर राजनीति, रिश्तों और 1984 के आरोपों तक—अमिताभ बच्चन की जर्नी जहां स्टारडम चमकता है और सरोकार सवाल पूछते हैं। ‘जंजीर’ की विजय-गाथा, ‘दीवार–शोले’ का स्वर्णकाल, जया–रेखा एपिसोड, गांधी परिवार से नज़दीकियाँ, ‘कूली’ हादसा और 1984 पर उठे प्रश्न—एक समग्र टाइमलाइन और संदर्भ।

ला:स्लो क्रॉस्नॉहोरकै — शब्दों के प्रवाह में बहता अँधकार : साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2025

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 10, 2025 News and Events 0

László Krasznahorkai, the Hungarian master of long, meditative sentences and existential depth, has been awarded the 2025 Nobel Prize in Literature. His works—filled with flowing intensity, philosophical unease, and haunting imagery—redefine the limits of narrative form. As the world celebrates him, Hindi readers too stand to rediscover the boundless possibilities of literary expression and human introspection through his timeless prose.

बिटिया दिवस – कैलेंडर में साल में एक दिन दर्ज, दिल में स्थायी रूप से

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 28, 2025 Important days 0

बेटी दिवस पर यह व्यंग्य पूछता है—क्या बेटी के लिए कोई अलग डे बनाना ज़रूरी है? वो तो पिता के जीवन की सदा बहार वसंत है। उसके आंसू पिघला दें, उसकी हंसी दिल जीत ले। समाज उसे देवी कहता है, पर फैसले छीन लेता है। असली उत्सव तब होगा जब बेटियों को दिन नहीं, बल्कि पूरी दुनिया मिले।

शिक्षक दिवस: राधाकृष्णन की रोशनी में आज का अँधेरा पढ़ना

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 5, 2025 Important days 5

शिक्षक दिवस केवल तारीख नहीं, विचार की परीक्षा है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमें सिखाते हैं कि शिक्षा डिग्री नहीं, चरित्र-निर्माण है; ज्ञान तभी शक्ति है जब वह सेवा बने। गुरु सीढ़ी हैं—जो हमें ऊपर ले जाती है। आज की चुनौती है सूचना के शोर में स्वतंत्र चिंतन बचाना, स्क्रीन-टाइम घटाकर मनन बढ़ाना, और ईमानदारी की छोटी प्रतिज्ञाओं से समाज में बड़ा परिवर्तन लाना—दीप से दीप जलाने की परंपरा निभाना।