मैं तेरी ही कब हो गई-कविता रचना Vidya Dubey December 1, 2025 हिंदी कविता 2 Comments “प्रेम की मदहोश धड़कनों में खोई एक आत्मा—जिसे न जाने कब अपने ही भीतर से किसी और का उजाला छू गया। ‘मैं तेरी ही कब… Spread the love
तंदूरी रोटी युद्ध: वीर तुम डटे रहो डॉ मुकेश 'असीमित' November 28, 2025 Poems 0 Comments “शादी के पंडाल में तंदूरी रोटी अब सिर्फ़ खानपान नहीं रही, पूर्ण युद्ध बन चुकी है। दूल्हे से ज़्यादा चर्चा उस वीर की होती है,… Spread the love
साठ साल का आदमी-कविता रचना Prahalad Shrimali November 26, 2025 हिंदी कविता 0 Comments साठ साल का आदमी दरअसल चलता-फिरता पेड़ है—अनुभव की जड़ों में धँसा, सद्भाव की शाखों से भरा और भीतर अब भी एक प्यारा बच्चा लिये… Spread the love
जय भारत वंदेमातरम्!वंदेमातरम्!! Prahalad Shrimali November 20, 2025 Hindi poems 0 Comments यह कविता भारत-जन के महा स्वरों की गूंज “वंदेमातरम्” से शुरू होकर राष्ट्रहित, देशभक्ति, असल–नकली देशप्रेम, मीडिया की गिरावट, आतंकी तत्वों की धूर्तता और नागरिक… Spread the love
प्रथम क्रांति भारत की (लक्ष्मी बाई ) Ram Kumar Joshi November 20, 2025 Hindi poems 1 Comment यह कविता 1857 की क्रांति के उन ज्वलंत क्षणों को पुनर्जीवित करती है जब मंगल पांडे की हुंकार से लेकर झाँसी की रानी की तलवार… Spread the love
आधुनिक संत-व्यंग्य कविता Ram Kumar Joshi November 9, 2025 हिंदी कविता 0 Comments बैरागी बन म्है फिरा, धरिया झूठा वेश जगत करै म्होरी चाकरी, क्है म्हानें दरवेश क्है म्हानें दरवेश, बड़ा ठिकाणा ठाया गाड़ी घोड़ा बांध, जीव रा… Spread the love
जय छठ मैया! राष्ट्रभक्ति और प्रकृति उपासना का दिव्य पर्व Prahalad Shrimali November 1, 2025 हिंदी कविता 0 Comments छठ पर्व केवल आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि प्रकृति, राष्ट्र और संस्कृति के प्रति समर्पण का सामूहिक संकल्प है। यह लेख छठ मैया की भक्ति… Spread the love
प्रकाश है सनातन-कविता रचना Prahalad Shrimali October 20, 2025 Hindi poems 0 Comments “बहती प्रकाश की ओर अगर है ज़िंदगी, तो हर अंधकार भी एक पड़ाव मात्र है। जो दीप भीतर जलता है — वही अमर है, वही… Spread the love
तेरा लाल मां तुझे पुकारे Vidya Dubey October 4, 2025 हिंदी कविता 2 Comments कविता “तेरा लाल मां तुझे पुकारे” मां और पुत्र के भावनात्मक रिश्ते का सुंदर चित्र है। इसमें भक्त पुत्र अपने लाल वस्त्रों, फूलों, चुनरिया और… Spread the love
आउल जी को भेंट-हास्य व्यंग्य कविता Ram Kumar Joshi October 4, 2025 हिंदी कविता 2 Comments सूरत की राजनीति में खानदानी गुरुर ने ऐसा पेंच फँसाया कि ‘बाई’ की जगह ‘राड’ निकल गया। जनसभाओं में गुणगान करते-करते सीट हाथ से निकल… Spread the love