रिश्ते -कविता हिंदी रचियता महादेव प्रेमी Hindi Poem Rishte Mahadev Prashad Premi May 1, 2024 Hindi poems 0 Comments लोभ और स्वारथ वश लोग,रिस्ते नाते तोड लेते हैं, अंत में परिणाम को पाकर,पछता भी लेते हैं मिट्टी का वर्तन,और परिवार जोडने की कीमत , वो ही समझते हैं,तोडने वाले तो तोडा ही करते हैं । Spread the love Tagged कविता भाव, जीवन दर्शन, टूटे संबंध, भावनाएँ, मनोविज्ञान, रिश्ते, रिश्तों का विघटन, लालच, सामाजिक सच्चाई, स्वार्थ, हिंदी शायरी Post navigation Previous Previous post: कचरे का अधकचरा ज्ञान –व्यंग रचनाNext Next post: मै और मेरा मधुमेह रोग -मेरे संस्मरणों से Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Δ