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अपने कामदेव को जानिए पहिचानिए यौन क्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्र – कुण्डलीय मस्तिष्क-Know your cupid Sex Control Center – Helical Brain

Know yur cupid Brain- Helical brain

अपने कामदेव को जानिए पहिचानिए
यौनक्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्र – कुण्डलीय मस्तिष्क- (

Know your cupid
Sex Control Center – Helical Brain

लेखक -डा एस जी काबरा

प्रत्येक जीव के प्रकृति द्वारा नियत दो मूल कार्य होते हैं – एक, स्वयम् का अस्तित्त्व बनाये रखने के लिए अपनी सुरक्षा और दो, अपनी जाति का अस्तित्व बनाये रखने के लिए प्रजनन और सन्तति उत्पत्ति। इन क्रियाओं के नियन्त्रण का प्रमुख केन्द्र होता है कुण्डलीय मस्तिष्क, लिम्बिक सिस्टम। कोणार्क के मन्दिर के सूर्यरथ के चक्रनुमा पहिये, उसकी धुरी और धुरी को जोड़ते हाथ के समान होता है यह चक्रिल, कुण्डलीय मस्तिष्क। यह मानव मस्तिष्क में उसके अग्र और अधोभाग के सन्धिस्थल पर स्थित होता है और मस्तिष्क के अग्रभाग और अधोभाग के कार्यों को समन्वित करता है। सूर्यरथ के पहिये पर उकेरे यौन क्रियाकलापों की तरह ही कुण्डलीय मस्तिष्क के विभिन्न भागों में यौन क्रिया नियन्त्रक केन्द्र होते हैं।

अपना अस्तित्त्व बनाये रखने के लिए आवष्यक आन्तरिक शारीरिक प्रक्रियाएँ और बाहरी ख़तरों से स्वयम् की सुरक्षा के लिए उपायों का नियन्त्रण कुण्डलीय मस्तिष्क करता है। आन्तरिक शारीरिक प्रक्रिया यथा श्वास, हृदयगति, रक्तचाप, रक्तसंचार, पाचन, पोषण, अपषिष्ट विसर्जन आदि और बाहरी ख़तरों में अनुभूत डर और प्रतिक्रियात्मक पलायन या प्रतिषोध, सबका निर्धारक और नियन्त्रक कुण्डलीय मस्तिष्क और हाइपोथैलेमस होता है।

यौन प्रक्रिया और यौन क्रिया (समागम), मानसिक और शारीरिक संवेग, संवेदना और क्रियाओं का योग है – कामेच्छा, कामोŸोजना और काम क्रिया। कामेन्द्रियों जनित संवेदनाएँ (जननांग से), कामोŸोजक विचारों, और अग्र मस्तिष्क से आये संवेगों से यौन मस्तिष्क -लिम्बिक लोब- यौन प्रवृत्त होता है और यौन क्रिया को क्रियाषील करता है। अधो मस्तिष्क स्थित यौन संवेग, सन्धिस्थल पर स्थित यौन मस्तिष्क को यौन प्रवृत्त करते हैं।
यौन क्रिया का रासायनिक पक्ष
एक त्रिस्तरीय रासायनिक प्रक्रिया, यौन क्रिया को संचालित करती है। यौन मस्तिष्क से प्राप्त समन्वित सूचना और संवेगों के फलस्वरुप, हाइपोथैलेमस, पीयूष ग्रन्थि को जननग्रन्थि प्रेरक हार्मोन (अन्तःस्राव) स्रावित करने को प्रेरित करता है। जनन ग्रन्थि प्रेरक हार्मोनों से प्रभावित होकर जननग्रन्थि, अण्डकोष या डिम्ब ग्रन्थि, यौन हार्मोन (सेक्स हार्मोन) स्रावित करते हैं जो जननांग, गर्भाषय, प्रोस्टेट आदि और जननेन्द्रियों लिंग, योनि आदि को सन्तति उत्पत्ति के लिए यौन प्रवृत करते हैं। हाइपोथैलेमस, पीयूष ग्रन्थि और जनन ग्रन्थि से स्रावित हार्मोन (रसायन) त्रिस्तरीय यौनप्रक्रिया के आधार हैं।


ऐमिग्डेलाॅइड केन्द्रक (न्यूक्लियस), लिम्बिक सिस्टम का एक प्रमुख भाग है। प्रयोग के तौर पर जब बन्दर में इसे क्षतिग्रस्त किया गया तो बन्दर भय मुक्त हो गया (साँप से डरा नहीं), क्रोध विहीन हो गया (कितना भी छेड़ने पर उद्वेलित नहीं हुआ) उसकी तात्कालिक स्मृति लुप्त हो गयी (दी गयी वस्तु को हाथ से उठाया, देखा, मुँह मे रख चखा और बेस्वाद पाकर फेंक दी। लेकिन तुरन्त ही उसे फिर उठाया, देखा, चखा और फेंका और ऐसा बार-बार करता रहा।) नई स्मृति संकलन की क्षमता खत्म हो गई। और वह कामान्ध होकर आक्रामक और असंयमित लेकिन सर्वथा भावषून्य यौन क्रिया के लिए प्रवृत्त हो गया। इसे क्लूवर बूसी सिन्ड्रोम के नाम से जाना जाता है।
मनुष्य में भी जब इस केन्द्रक और उसके निकटस्थ भागों को नष्ट किया गया (आवष्यक शल्यक्रिया द्वारा) तो वह भयमुक्त, क्रोधविहीन और यौनक्रिया के प्रति भावषून्य हो गया। उसकी तत्कालीन स्मृति लोप हो गयी – उसे कोई नई चीज़ या बात याद नहीं रही। भाव प्रधान, संयमित सैक्स, ब्रह्मचर्य, का नियन्त्रक यही केन्द्रक होता है।
हर्पीज सिम्पलेक्ष से मस्तिष्क ज्वर, जिसमें मस्तिष्क का यह भाग विषेष रूप से प्रभावित और क्षतिग्रस्त होता है, उसमें तत्कालीन स्मृति लोप, हर वस्तु को मुख मे रखने चखने की अति क्रिया (हाइपर आरेलिटि) और असयमित, अनियंत्रित यौन प्रवृत्ति (हाईपर सेक्सुअलिटि) के अनेक केस भारत से रिपोर्ट किए गये हैं।
हिपोकेम्पस कुण्डलीय मस्तिष्क का दूसरा प्रमुख भाग होता है। यहाँ संवेद, सूचना और विचारों का भावनात्मक विष्लेषण होता है और योग्य पाये जाने पर दीर्घकालीन स्मृति के लिए संप्रेषण होता है। यौनक्रियाओं का भावनात्मक विष्लेषण और स्मृति संरक्षण भी यहीं होता है।
सेप्टल एरिया न्युक्लियस एम्वियेंस (काम केन्द्रक) कुण्डलीय मस्तिष्क का वह छोटा सा भाग होता है जहाँ सम्भोग के चरम की सुखद अनुभूति के केन्द्र होते हैं, महिलाओं में चार और पुरुष में एक। कामेच्छा, काम कल्पना, काम क्रिया संवेग, काम सुख अनुभूति, चरम आनन्द का केन्द्र यही है। काम आनन्द के अतिरिक्त हर ऐसी मानसिक व षारीरिक क्रिया जिसकी परिणति आत्मसुख है, यहीं अनुभूत हो कर स्मृतिषेष होती है।
हाइपोथैलेमस कामेच्छा के अनुरुप कामोत्तेजना और काम क्रिया को क्रियाषील करने का कार्य करता है, जिसमें स्वचालित तंत्रिका तन्त्र (आॅटोनाॅमिक नर्वस सिस्टम) प्रमुख भूमिका निभाता है। काम भाव और काम क्रियाओंका समन्वयक केन्द्र यही है। स्वसुरक्षा निमित क्रियाओं का उदगम स्रोत भी हाइपोथेलेमस है।
डर, चिन्ता, क्रोध, यौनभाव, स्वभाव, प्रवृत्ति, विचार विष्लेषण और स्मृति संरक्षण; यौन क्रिया संचालन और यौन सुख अनुभूति आदि सभी लिम्बिक सिस्टम के कार्य होते हैं। विकास के क्रम में विकसित मानव मस्तिष्क के अग्रभाग से तर्क, विवेक, भाषा, बोली, पढ़ना-लिखना और गणना का कार्य होता है। ज्ञानेन्द्रियों, कर्मेन्द्रियों और जननेन्द्रियों से प्राप्त संवेगों को समन्वित कर अग्रमस्तिष्क लिम्बिक सिस्टम को भेजता है।
कुण्डलीय मस्तिष्क मनुष्य का यौन मस्तिष्क होता है, स्वसंरक्षण और स्वजातीय संरक्षण का आधार और केन्द्र। हर प्राणी का जीन आधारित, जीन नियंत्रित और जीन प्रयोजित आदिम कर्म और ‘धर्म’ होता है प्रजनन द्वरा स्वजाति की षाष्वत्तता बनाये रखना। माँ और पिता से मिले दो यौन गुणसूत्र (सैक्स क्रोमाजोम्स) पर स्थित जीन श्रंखला ही यह नियत व नियंत्रित करते है। यह हर प्राणी की जैविक नियति है।
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हैप्पी हार्मोन्स
हार्मोनस अंतःस्रावी वो रसायन होते है जो निर्धारित लक्ष्य स्थित कोषिकाओं को एक विषिष्ट रूप से प्रभावित करते हैं। मस्तिष्क की सभी भावनात्मक प्रक्रियायें इन्हीं द्वारा संचालित होती है। भावनात्मक उद्वेलन के स्रोत यही है।
डोपामिन – डोपामिन उस वक्त पैदा होता है जब हम किसी लक्ष्य की ओर बढते हैं। दिमाग में स्रावित इस हार्मोन की ऊर्जा से हम अपने लक्ष्य पूरे कर पाते हैं। इससे हम उन चीजों को पाने के प्रयास करते हैं जो हमें पसंद हैं। चाहे वो वीडियो गेम में नेक्स्ट लेवल पाना हो या किसी बच्चे को खिलोना। बस आपको हर रोज एक नया गोल दिमाग में लाना है। और आपका दिमाग आपको डोपामिन की खुषी से नवाजेगा। इससे आप स्वस्थ रहेंगे।
सेरिटोनिन – सेरिटोनिन हम में विष्वास पैदा करता है। जब कोई हमारा आदर करता है तब हम सेरिटोनिन का अनुभव करते हैं। वही सम्मान न्यूरल पाथवे यानी दिमाग तक एक रास्ता बनाता है। जो दिमाग को यह भी बताता है कि आप ऐसा और क्या करें कि आपको सम्मान मिले। हर इंसान की खूबियां और खामियां होती है, लेकिन अगर आपने अपना सोच अपनी खामियों पर फोकस कर दिया तो आपका सेरिटोनिन डिप्रेस हो जाएगा। चाहे फिर आप कोई राॅक स्टार हों या कोई सीईओ। खुद पर विष्वास जरूरी है।

आॅक्सीटोसिन – स्तनपायी जानवर अक्सर झुंड में रहते हैं। इंसानों की तरह अपने बच्चों की सुरक्षा का विष्वास उनके दिमाग में भी आॅक्सीटोसिन का निर्माण करता है। जब लोगों का विष्वास टूटता है, दिमाग तुरंत दुखी कर देने वाले केमिकल्स रिलीज कर देता है। कई बार ऐसा होने पर षरीर में आॅक्सीटोसिन का स्तर कम हो जाता है। इसका स्तर बनाये रखने के लिए आपको कुछ ऐसी उम्मीदें करनी होंगी जो पूरी हो सके। इससे धीरे-धीरे आॅक्सीटोसिन सर्किट दोबारा बनने लगेंगे।
एंडोर्फिन – धावक जब अपने आपको हद से ज्यादा थका देते हैं, दर्द से चूर होने लगते हैं, तब उनका दिमाग एंडोर्फिन रिलीज करता है। यानी एंडोर्फिन की खुषी अपने अस्तित्व को बचाने के दर्द के बाद ही महसूस हो सकती है। यह हार्मोन इमरजेंसी के लिए बना है। इसे प्राकृतिक तौर पर पैदा करने का एक और तरीका है। हंसी, लेकिन यह हंसी भी प्रकृतिक होनी चाहिए। तो तलाष करिए ऐसे मौकों की जब आपका दिमाग आपको यह खुषी भी दे।
कोर्टिसोल – कोर्टिसोल हमें आगे बढने को प्रेरित करता है। दिमाग को आने वाले खतरों से आगाह करता है। यह हार्मोन हमेषा हम में रहता है, क्योंकि अपने अस्तित्व का संकट सब को सताता है। जैसे ही हैप्पी केमिकल्स षरीर में कम होते हैं यह आपका ध्यान अपनी ओर अकर्षित कर लेता है। आप थोड़ी मायूसी महसूस करेंगे। लेकिन यही वह मौका होता है जब आप कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे आपको आपकी क्षमताओं का अहसास होता है। कोर्टिसोल भी उस ही प्रक्रिया का हिस्सा है जब आप इन दुखी कर देने वाले केमिकल्स से सचेत हो कुछ ऐसे निर्णय लेते हैं जो आपको खुष कर देते हैं।


प्रेम के तीन चरण होते है और हर चरण के अपने प्रेरक हाॅर्मोन।

  1. चाह ;स्नेजद्धरू कामेच्छा मस्तिष्क के अग्र भाग फ्रंटल कार्टेक्स में जाग्रत होती है और लिम्बिक लोब – भाव मस्तिष्क – मेें घनीभूत होती है। इसके प्रेरक हाॅर्मोन होते हैं टेस्टेस्टेरोन और इस्ट्रोजन। ये दोनों काम प्रेरक लव हाॅर्मोन क्रमषः टेस्टीज और ओवरी द्वारा स्रावित होते हैं। ये हाॅर्मोन जहां जनानंगों को काम क्रिया के लिए प्रेरित और सक्रिय करते हैं वहीं जननांग इन्ही हाॅर्मोनों के जरिये मस्तिष्क के काम केन्द्रों से सम्पर्क करते हैं, उनसे संवाद करते हैं, उनमें काम भाव जाग्रत करते हैं, काम प्रवृत्त करते हैं, कामक्रिया सम्पन्न कराते हैं।
  2. चयन/आकर्षण ;।जजतंबजपवदद्ध इसके प्रेरक हाॅर्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर्स – तंत्रिका संवेदक – होते हैं डोपामिन, सेरिटोनिन और एड्रेनिलीन। ये भाव मस्तिष्क में परिकल्पना, आकर्षण, पाने-अपनाने की आतुरता जाग्रत करते हैं। सुखानुभूति को प्रेरित करते है। साथ ही एड्रेनेलीन, स्वचलित तंत्रिका तंत्र (ओटोनोमिक नर्वस सिस्टम) को सक्रिय कर भवाभिव्यक्ति करता है – आँखों की पुतलियां फैल जाती है, चेहरे पर चमक, लालिमा आ जाती है, हृदय की धड़कन बढ जाती है, रोम रोम संवेदनषील हो जाता है।
  3. लगाव, जुड़ाव, वरण ;।जजंबीउमदजद्ध इसके प्रेरक हाॅर्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर हैं – आक्सिटोसिन और वासोप्रेसिन। ये हाईपोथेलेमस में बनते है, पियूष ग्रन्थि (पिट्यूटरी) में संग्रहित होते है, और भाव मस्तिष्क से आये संवेगों के फलस्वरूप रक्त में स्रावित हो कर पूरे षरीर में जाते हैं। आक्सिटोसिन एक ओर जहां जनानंगों को प्रभावित करता है वहीं भाव मस्तिष्क (लिम्बिक सिस्टम/कुंडलीय मस्तिष्क) पर व्यापक प्रभाव डालता है। यह प्रसव प्रेरक है, माँ के स्तन से दूध की धार इसी से बहती है। मातृत्व और वातसल्य के भावों का प्रेरक यही है। पे्रमी-प्रेमिका और पति-पत्नी के सम्बन्ध इसी के निहित हैं। काम सुख के चरम पर यह स्रावित होता है। आस्था, एक निष्ट लगाव जुड़ाव का आधार यही है। सामाजिक सरोकार का प्रेरक भी यही है। सदाचरण इसी के बूते से होता है। हाल के वर्षों में आक्सीटोसिन पर व्यापक अनुसंधान हुआ है। दवा के रूप में नाक से सूंघनी से दे कर इसका भाव, स्वभाव और आचरण पर असर आंका गया है। आक्सिटोसिन रोधक दवा दे कर भी असर आंका गया है। आक्सिटोसिन को भ्नह ीवतउवदम प्रेमालिंगन हाॅर्मोन.ए डवतंस उवसमबनसम सदाचार अणुए ठसपेे ीवतउवदम परम आनन्द. चरम सुख, कामानन्द के चरम हाॅर्मोन के रूप में पहचान जाता है। इसे स्वअम भ्वतउवदमए ब्नचपक ब्ीमउपबंस कामदेव केमिकल की संज्ञा दी जाती है।
    लिम्बि लोब अग्रमस्तिष्क और अधोमस्तिष्क के संधिस्थल पर स्थित होता है। लिम्बस का अर्थ होता है कुंडलाकार या अर्ध चक्र। लिम्बिक लोब इन्हीं आकारों के सधन तंत्रिका तंतुओं का समूह होता है। इसी लिए इसे कुंडलीय मस्तिष्क की संज्ञा दी गई है। इसे काम मस्तिष्क भी कहा जा सकता है। हिपोकेम्पस और पैराहिपोकेम्पल जाइरस – जैसे काम देव और रति। कामदेव के मधुमख्खियों से बने धनुष जैसा डेन्टेट जायरस। कामदेव के वाहक उल्लू के प्रतीक एमेग्डेलाॅइड और एम्बियेंस केन्द्रक। और कामदेव के पुष्पक तीरों जैसे लव हाॅर्मोन और न्यूरोट्रांसमिटर्स। कुंडलीय मस्तिष्क कामदेव का मंदिर है। सृष्टि संचालन यहीं से होता है। नव सृजन से ही सृष्टि षाष्वत है।

डाॅ. श्रीगोपाल काबरा
15, विजय नगर, डी-ब्लाक,
मालवीय नगर, जयपुर – 302017
मोबाइलः 08003516198

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